Radhasoamisantmarg

शनिवार, 5 जनवरी 2019

बाबाजी की इन बातों को नही पढ़ा, तो सब बेकार है

बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय।
जो दिल खोजौं आपना, मुझसा बुरा न  होय।।
कबीर सब तें हम बुरे, हम तें भल सब कोय।
जिन ऐसा करी बूझिया, मित्र हमारा सोय।।


महात्माओं का समझाने का  तरीका
महात्माओं का हमें समझाने का सिर्फ यही मतलब है, कि किसी चीज का घमंड और अहंकार नहीं करना चाहिए। इंसान के जामे में बैठकर मन में नम्रता, दीनता और आजिजी रखनी चाहिए और नाम की कमाई करनी चाहिए क्योंकि नाम की कमाई ही हमारा साथ देगी और तभी हमारा देह में आने का मकसद पूरा हो सकेगा।




नाम की कमाई, उत्तम कमाई
शब्द या नाम की कमाई के सिवाय और कोई उपाय और तरीका नहीं है जिससे हम देह के बंधनों से छुटकारा प्राप्त कर सकें। इसके अलावा बाकी जितनी भी साधन है जैसे जप-तप, पूजा-पाठ, दान-पुण्य वगैरह सब का फल हमें जरूर मिलता है। लेकिन उनका फल लेने के लिए हमें फिर से देह के बंधनों में आना पड़ता है। नेक कर्म करते हैं तो राजा-महाराजा बनकर आ जाते हैं। सेठ साहूकार बनकर आ जाते हैं। ज्यादा से ज्यादा बैकुंठों-स्वर्गों तक पहुंच जाते हैं। लेकिन यह भी भोग-योनियाँ है, जो एक निश्चित समय के लिए होती हैं। उसके बाद हमें फिर चौरासी के जेलखाने में आना पड़ता है। लेकिन नाम की कमाई हमें हमेशा के लिए देह के बंधनों से आजाद कर देती है।




संतों का कथन
इसलिए संत महात्मा समझाते हैं, इन सब चीजों का फल शब्द की कमाई के फल के नीचे रहता है। यानी हमें काल के दायरे में ही रखता है। शब्द की कमाई का फल सबसे ऊंचा है। वह हमें काल के दायरे से बाहर ले जाता है; क्योंकि वह चीज ही हमें मान और माया के दायरे से पार ले जा सकती है। जो हम मन और माया के दायरे के पार से आती हो। वह शब्द सचखंड से उठता है। काल की सीमा ब्रह्म और त्रिलोकी तक है। इसलिए हम शब्द को पकड़कर काल की हद से पार चले जाते हैं।


                 || राधास्वामी ||

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