गुरुवार, 24 अक्तूबर 2019

सेवा सिमरन औऱ सत्संग से सुख नही तो किसकी कमी: बाबाजी ने ये बताया

Radha Soami - बाबाजी  फरमाते हैं नाम बड़ी ऊँची दौलत है। बड़े भाग्य से मिलता है। जो भाग्य से मिला है तो इसकी कदर करो। दबा कर कमाई करो। हमारा एक एक स्वांस करोड़ की कीमत का है। इसको ऐसे ही न खोवो। सतगुरु जिस दिन नाम देते उस दिन से शिष्य के अंदर बैठ जाते हैं, यह बात शिष्य नहीं समझता। यदि शिषय कमाई करे तो देख ले।



बुलेशाह ने भी कहा है- 

असाँ ते वख नहीं, देखन वाली अख नहीं, बिना शौह थी, दूजा कख नहीं।

गुरु  नानक  देव  जी

दुनिया  के  जीव  बहुत  बुरी  तरह  काल  के  जाल  में  फँसे  हुए  हैँ ।  जो  कर्म  पहले  किये  हैं। उनका  नतीजा  अब  रो-पीटकर  भोग  रहे  हैं और उसी  तरह  बुरे-खोटे  पाप  और  कर्म  करते  जा  रहे  हैं ।  भूले  हुए  हैं  कि  इनका  नतीजा  भोगने  के  लिये  फिर  इसी  चौरासी  के  चक्कर  में  आना  पड़ेगा ।  इसलिये  महात्मा  हमारी  हालत  देखकर  तरस  खाते  हैं ।  हमारी  हालत  देखकर  अफ़सोस  करते  हैं ।

सेवा,सिमरनऔर सत्संग

बाबाजी बताते है कि सेवा, सिमरन करने के बावजूद भी अगर जीवन में सुख नहीं आया तो क्या कारण है ? दूसरों की निंदा, बुराई, ईर्ष्या, द्वेष, गाली-गलोच, लालच जीवन में अभी भी हैं। तो कारण क्या है ? इसका मतलब जैसे हुजूर बाबा जी कहते हैं कि एक चलना भी वो है। जिसके कारण मंजिल पर पहुँचते हैं और एक चलना कोल्हू के बैल का भी जो चलता तो है पर कहीं पहुँचता ही नहीं है ।

कहीं ऐसा तो नहीं है कि हमाररी सेवा, सिमरन और सत्संग कोल्हू के बैल की तरहा हो रही है। जिसके कारण मेरे जीवन सुख नहीं है। जीवन में बदलाव है। अगर ऐसा ही है तो क्यों है ? कारण एक ही है अभी पूर्ण समर्पण नहीं हुआ अर्थात जीवन में समर्पण की कमी है।


आईये बाबाजी द्वारा बताई गई युक्ति को अपना कर सही समय अनुसार भजन-सिमरन करें। हमे हररोज़ बिना नागा सिरमन करना है ताकि मनुष्य जन्म में आने का मक़सद पूरा हो जाये।
         
                           राधास्वामी
           

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