जिस परमात्मा ने दुनिया की रचना की है, वह चौबीस घण्टे तुम्हारे साथ-साथ है।लेकिन हम दुनिया के जीव अपनी देह के अंदर जाकर कभी परमात्मा की खोज करने की कोशिश नही करते।
हमेशा उसे या तो जंगलों और पहाड़ों में ढूँढने की कोशिश करते है या ग्रन्थों-पोथियों में पाना चाहते है या समझते है कि वह गुरुद्वारों, मंदिरों, मसजिदों या गिरजा-घरों में ही मिल सकता है। कभी विचार है कि वह आसमानों के पीछे छिपा बैठा है। लेकिन जिस जगह वह परमात्मा है, उस जगह तलास नही करते।
सच्चे मालिक के भक्त :-
जो मालिक की असली भक्त और प्यारे हैं। जिनको किसी संत-महात्मा की संगति मिल चुकी है। वह परमात्मा को शरीर या देह के अंदर ढूंढते हैं, बाकी सब दुनिया के जीव भ्रमों में फंसकर यहीं भूले फिरते हैं।
जो मालिक की असली भक्त और प्यारे हैं। जिनको किसी संत-महात्मा की संगति मिल चुकी है। वह परमात्मा को शरीर या देह के अंदर ढूंढते हैं, बाकी सब दुनिया के जीव भ्रमों में फंसकर यहीं भूले फिरते हैं।
बाबाजी के विचार :- धन-दौलत पापों के बिना इकट्ठे नहीं होती:- बाबाजी
बाहर खोजना व्यर्थ है :-
हम पत्थर और ईटें इकट्ठी करके मस्जिद या मालिक के रहने की जगह बना लेते हैं और उसके ऊपर चढ़कर मौलवी ऊंची-ऊंची बांग देकर परमात्मा को पुकारता है। जैसे कि परमात्मा बहरा है और हमारी आवाज उस तक नहीं पहुंच सकती।
हम पत्थर और ईटें इकट्ठी करके मस्जिद या मालिक के रहने की जगह बना लेते हैं और उसके ऊपर चढ़कर मौलवी ऊंची-ऊंची बांग देकर परमात्मा को पुकारता है। जैसे कि परमात्मा बहरा है और हमारी आवाज उस तक नहीं पहुंच सकती।
बाबाजी के विचार :- दान देने से भी कर्म बनते है।अहंकार आता है।
आप समझाते हैं :-
आप समझाते हैं कि ऐ मुल्ला! वह खुदा बहरा नहीं है, जिस खुदा के लिए तू इतनी जोर-जोर से से चिल्ला रहा है। वह तो तेरे अंदर ही मौजूद है। मुसलमान उस खुदा को मस्जिद के अंदर ढूंढ रहे हैं। हिंदू मंदिरों में उस परमात्मा की तलाश कर रहे हैं। सिख ईसाई गुरुद्वारा और गिरजो में जाकर खोज रहे हैं, लेकिन वह अलख पुरुष तो उनके शरीर के अंदर ही है और अंदर ही मिलेगा।
आप समझाते हैं कि ऐ मुल्ला! वह खुदा बहरा नहीं है, जिस खुदा के लिए तू इतनी जोर-जोर से से चिल्ला रहा है। वह तो तेरे अंदर ही मौजूद है। मुसलमान उस खुदा को मस्जिद के अंदर ढूंढ रहे हैं। हिंदू मंदिरों में उस परमात्मा की तलाश कर रहे हैं। सिख ईसाई गुरुद्वारा और गिरजो में जाकर खोज रहे हैं, लेकिन वह अलख पुरुष तो उनके शरीर के अंदर ही है और अंदर ही मिलेगा।
हमें भी चाहिए की मालिक के बताए अनुसार भजन-सुमिरन करें और मालिक की खोज अपने अंदर करें। परमात्मा को पाना है तो भजन सुमिरन पर जोर देना होगा।
||राधास्वामी ||
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