परमात्मा एक है। और जितनी भी जीव इस धरती पर है, ब्रह्मांड में है। सब उस परमात्मा ने ही बनाया है। कण-कण में परमात्मा विराजमान है। बस हमारे सोचने का, देखने का नजरिया अलग है। परमात्मा हर एक जीव के अंदर है। संत समझाते हैं कि जितना हम दूसरे के साथ प्रेम, प्यार बना कर रखेंगे। परमात्मा उतना ही हमारे नजदीक होंगे।
फरमाते है :-
हे परमात्मा! सब दुनिया के जीव तूने आप पैदा किए हैं। बुरे भी तूने पैदा किए हैं और अच्छे भी तूने ही बनाए हैं और तू खुद ही दोनों को परखने बैठ गया है कि कौन अच्छा है कौन बुरा। जिनको तो खुद अपनी परख के काबिल बना लेता है, उनको तो अपने खजाने में दाखिल कर लेता है। बाकी सब भ्रमों में फंसकर यही यही भूले हुए हैं।
हे परमात्मा! सब दुनिया के जीव तूने आप पैदा किए हैं। बुरे भी तूने पैदा किए हैं और अच्छे भी तूने ही बनाए हैं और तू खुद ही दोनों को परखने बैठ गया है कि कौन अच्छा है कौन बुरा। जिनको तो खुद अपनी परख के काबिल बना लेता है, उनको तो अपने खजाने में दाखिल कर लेता है। बाकी सब भ्रमों में फंसकर यही यही भूले हुए हैं।
बाबा जी ने कहा:- मन को ऐसे करो काबू में।पढ़ना ना भूलें।
परमात्मा की दया मेहर :-
अब सवाल पैदा हुआ कि परमात्मा दया मेहर किस प्रकार करता है? परमात्मा जब भी दया मेहर करता है। संतों महात्माओं के जरिए ही करता है। बल्कि खुद इंसान के जामें में बैठकर हमारे अंदर अपने मिलने का शौक और प्यार पैदा करता है। हमसे अपनी भक्ति करवाकर अपने साथ मिला लेता है। यही एक जरिया है कि हम भक्ति करके भजन-सुमिरन करके परमात्मा से मिल सकते हैं।
अब सवाल पैदा हुआ कि परमात्मा दया मेहर किस प्रकार करता है? परमात्मा जब भी दया मेहर करता है। संतों महात्माओं के जरिए ही करता है। बल्कि खुद इंसान के जामें में बैठकर हमारे अंदर अपने मिलने का शौक और प्यार पैदा करता है। हमसे अपनी भक्ति करवाकर अपने साथ मिला लेता है। यही एक जरिया है कि हम भक्ति करके भजन-सुमिरन करके परमात्मा से मिल सकते हैं।
बाबा जी ने कहा:- इसको पढ़ोगे तो पार हो जाओगे
मालिक की कृपा :-
मालिक ने कृपा की तो हमें सतगुरु की सोहबत और संगति प्राप्त हुई। उसके बाद हम पर सतगुरु की बख्शीश हुई और उन्होंने हमारी सूरत या आत्मा को शब्द जोड़ दिया, जिसका अभ्यास करके दुनिया से हमारा मोह निकल जाता है। और हमारे अंदर मालिक का प्यार पैदा हो जाता है। इसीलिए बाबा जी हर सत्संग में समझाते हैं कि जितना हो सके भजन सुमिरन करो। हर रोज ढाई घंटे का वक्त दो। बिना भजन सुमिरन के परमात्मा से मिलना असंभव है। हमें भी चाहिए कि उस परमात्मा का ध्यान करें, भजन सुमिरन करे। ताकि मनुष्य जन्म का फायदा उठा सके।
मालिक ने कृपा की तो हमें सतगुरु की सोहबत और संगति प्राप्त हुई। उसके बाद हम पर सतगुरु की बख्शीश हुई और उन्होंने हमारी सूरत या आत्मा को शब्द जोड़ दिया, जिसका अभ्यास करके दुनिया से हमारा मोह निकल जाता है। और हमारे अंदर मालिक का प्यार पैदा हो जाता है। इसीलिए बाबा जी हर सत्संग में समझाते हैं कि जितना हो सके भजन सुमिरन करो। हर रोज ढाई घंटे का वक्त दो। बिना भजन सुमिरन के परमात्मा से मिलना असंभव है। हमें भी चाहिए कि उस परमात्मा का ध्यान करें, भजन सुमिरन करे। ताकि मनुष्य जन्म का फायदा उठा सके।
|| राधास्वामी ||
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