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मनुष्य जन्म को सार्थक करना है? तो रूहानियत की इन बातों पर करें अमल

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Radha Soami- हम अपने इस मनुष्य जन्म को सार्थक कर सकते हैं। हम उस परमपिता परमात्मा को पा सकते हैं। बस  हमें कुछ रूहानियत की बातों पर अमल करना होता है। अगर हम उन रूहानियत के नियमों के अनुसार चलेंगे तो हम परमपिता परमात्मा को पा लेंगे और इस चौरासी के जेलखाने से आजाद हो सकते हैं। क्या है रूहानियत के नियम जानें? 1. सबसे पहले अपने व्यवहार में सादगी बनायें रखें। 2. हर किसी व्यक्ति का सम्मान करें और सत्संग से जुड़े रहें। 3. कभी किसी का दिल ना दुखायें। प्यार और प्रेम बनाए रखें। 4. मुसीबत में एक-दूसरे व्यक्ति की मदद करें। 5. पूर्ण सतगुरु की खोज करें, उसके हुकुम में चलें Also read :   रूहानियत में इन बातों पर ध्यान रखना जरूरी है:  बाबाजी 6. हक हलाल की कमाई करें, हक हलाल की कमाई पर गुजारा करें। 7. सतगुरु के बताए गए उपदेशों पर चलें। गलत संगति में ना बैठें। 8. किसी प्रकार का नशा ना करें। पराई स्त्री को बहन, माता, पुत्री के समान समझें। 9. किसी जीव की हत्या ना करें और उस परमपिता परमात्मा का ध्यान करें। 10. सतगुरु द्वारा प्राप्त नामदान से हम उस परमपिता परमात्मा को...

रूहानियत में इन बातों पर ध्यान रखना बहुत जरूरी है : बाबाजी

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Radha Soami- संतों की शरण किसी क़िस्मत वाले को मिलती है। और जो इंसान संतों की शरण में चला जाता है। समझो उसका परमात्मा से मिलने का रास्ता साफ हो गया। वो इंसान अपने संत-सतगुरु से नाम की युक्ति प्राप्त करके, रूहानियत की राह पर चल कर अपने जीवन को सार्थक कर सकता है। हक हलाल की कमाई पर गुजारा  संत हमेशा रूहानियत के रास्ते पर चलने की नेक सीख बतलाते हैं। हमें सत्य पर चलना और हक हलाल की कमाई पर गुजारा करने की प्रेरणा देते हैं। क्योंकि हक हलाल की कमाई से हमारा मन ज्यादा विचलित नहीं होता, वह सही राह पर रहता है। इसलिए हमें हक हलाल की कमाई पर गुजारा करना चाहिये। Read also : मन में नम्रता, सेवा भाव से भजन सुमिरन में आसानी होती हैं एक रूहानियत की खास कला हमें अपना व्यवहार बिल्कुल शांत स्वभाव में रखना चाहिये। जितना हम शांत स्वभाव में रहेंगे, उतना ही हमारा मन एकाग्र होगा। और आसपास में अपना वातावरण भी खुशनुमा रहेगा। हर व्यक्ति के साथ बड़ी नम्रता से पेश आना चाहिए। यह एक रूहानियत की खास कला है, जिसके जरिए हम मन को एकाग्र करने में बहुत बड़ी सफलता प्राप्त कर सकते हैं। Read...

सतगुरु परमात्मा और जीवों के बीच की कड़ी: बाबाजी

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Radha Soami- सतगुरु एक रूहानी मार्गदर्शक यानी आदर्श हैं। उनका कार्य परमार्थ की खोजियों को सांसारिक बंधनों से छुड़ाकर रूहानियत के परम लक्ष्य तक ले जाना । सतगुरु सर्वोच्च है, सर्वव्यापक है और सब कुछ उन में समाया हुआ है। वहीं केंद्र बिंदु है, मध्य बिंदु और आधार बिंदु है। सतगुरु सृष्टि का रहस्य की कुंजी सतगुरु सृष्टि का रहस्य जानने की कुंजी है। सारा ब्रह्मांड उन्हीं में समाया हुआ है। जो सतगुरु के शब्द स्वरूप से जुड़ गए हैं। जिन्होंने उनका नूरी स्वरूप देखा है, जिन्हें आंतरिक अनुभव हो चुका है, वे जानते हैं कि सतगुरु और परमात्मा के बीच कोई भेद नहीं है। उनके लिए सतगुरु और परमात्मा एक ही है, अलग नहीं है।वह परमात्मा का हिस्सा है। यह भी पढ़े : मन में नम्रता, सेवा भाव से भजन सुमिरन में आसानी होती हैं दोनों एक ही शब्द, एक ही तेज़, एक ही शक्ति और एक ही चेतना है, ठीक उसी तरह जैसे सूरज और उसकी किरण। हमें निजी अनुभव से यह एहसास हो जाता है कि हमारे लिए पहली सच्चाई सतगुरु है, उसके बाद परमात्मा। यह भी पढें : क्या सतगुरु परमात्मा हैं? ज्यादा जानकारी के लिए पढ़ें परमात्मा हम...