मंगलवार, 5 जुलाई 2022

अमल इस बात पर करो तो मुक्ति संभव

Radha soami- जब भी हम सत्संग में जाते हैं। तो बाबाजी हमेसा हमें समझते है की भाई अमल करो। अब बात आती है अमल किस पर करना है। भाई अमल नामदान मिला है। उस पर करना है। भजन-सुमिरन करना है। ज्यादा से ज्यादा हमें भजन को समय देना चाहिए। अगर हम नामदान मिलने के बाद नहीं अमल नहीं करते तो हमारा जीवन बेकर है।



नामदान की किम्मत कोई बिरला ही जानें।
संत महात्मा समझाते है की नाम क्या है? उसकी असलियत क्या है? वो क्या चीज़ है? उसकी किम्मत क्या है? इसकी असलियत हर कोई नहीं जानता। कोई बिरला जीव जो गुरु के हुक्म की पालना करता होगा वही जीव इसकी अहमियत को जान सकता है। हमने बहुत बार सुना होगा की बंदर क्या जानें अदरक का स्वाद। ये बात बिल्कुल सही साबित होती है। क्यों कि जिस जीव के अंदर अगर परमात्मा के प्रति तड़फ नहीं है प्यार नहीं है वो इसकी अहमियत को नहीं समझ सकता।


हमें कोई चीज़ अगर मुफ्त में मिल जाती है तो हम उसकी कदर नहीं करते। क्योंकि वो मुफ्त में मिली है। अगर हम उसी चीज़ को अपने पैसों से खरीद कर लाते तो हम उसको बहुत संभाल कर रखते। उसकी देखरेख करते की कहीं बेकार ना हो जाये।

बस यही कारण है की हम नामदान की अहमियत को नहीं समझते और उस पर अमल नहीं करते। लेकिन पछतावा तो होगा मगर फिर हम कुछ नहीं कर सकते। क्यों कि तब तक डोर हाथ से निकल चुकी होगी।

अब भी समय है फायदा मिल सकता है।
बाबाजी फिर हमें समझाते हैं। की भाई अभी समय है हमारे पास करलो अमल। भजन सुमिरन के लिए कोई खास दिन या कोई खास मुहर्त की जरूरत नहीं होती। ना दिन , ना रात देखी जाती। हम किसी भी हाल में भजन-सुमिरन कर सकते है। बस हमारे अंदर गुरु और परमात्मा के तड़फ होनी चाहिए। इसलिए जब भी समय मिले सुमिरन पर बैठ जाना चाहिए। और अगर आप कहीं बैठ कर भजन सुमिरन नहीं कर पा रहे हो तो चलते फिरते भी सुमिरन चलते रहना चाहिए।

तो आईये! हम सब बाबाजी की बताई इन बातों पर अमल करें। भजन सुमिरन करें।

संत मार्ग सिद्धांत की जानकारी के लिए पढ़ें

राधास्वामी जी

आप सभी को दिल से राधास्वामी जी