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परमात्मा की कृपा सदा बनी रहे, आजमाएं यह विधि!

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परमात्मा की कृपा हम सब पर सदा बनी रहती है। परमात्मा कभी भी हमसे दूर नहीं होते। परमात्मा तो हमारे अंदर बसे हुए हैं। परमात्मा का वास हमारे अंदर है। संत महात्मा हर सत्संग में यही बात फरमाते आते रहते हैं, कि परमात्मा को कहीं बाहर नहीं खोजना, परमात्मा तो खुद हमारे अंदर विराजमान है। नम्रता और दीनता जब हमारे अंदर नम्रता और दीनता आएगी तो हमारा ध्यान मालिक की भक्ति और प्यार की ओर जाएगा। यह केवल संतों की संगति के द्वारा ही संभव हो सकता है और ऐसे संतों की संगति मालिक की बख्शीश और कृपा से ही मिलती है। सच तो यह है कि मालिक बक्शीश करें, तभी हमारा ख्याल उसकी भक्ति और प्यार की ओर जाता है। इन पर भी विचार करे :-  मुक्ति के लिए भजन सुमिरन ही दवाई। पढ़ें यानी उस मालिक को मंजूर होगा तभी हम उसकी भक्ति कर सकेंगे। हम दुनिया के जीव अंधे हैं, कुल मालिक आंखों वाला है। अंधे की ताकत नहीं कि वह आंखों वाले को पकड़ सके, जब तक आंखों वाला अंधे को आवाज देकर, उसे अपने पास नहीं बुलाता या अपनी अंगुली पकड़ कर उसे अपने साथ नहीं ले चलता। हम दुनिया के जीव इस माया के जाल में फस कर मालिक को भूलकर अंधे और बहरे ...