बाबा जी की इन बातों पर करें अमल, हो जाएगा उद्धार।

हम दुनिया के जीव् हमेशा, दिन-रात पेट के धंधों की खातिर भटकते रहते हैं और उस लक्ष्य के बारे में कभी नहीं सोचते, जिसके लिए मालिक ने हमें यहां भेजा है। हमारी अपने घर में आग लगी हुई है और हमें लोगों की आग बुझाने की फिक्र लगी हुई है। अपना घर लूटा जा रहा है, हम दूसरों के घरों की चौकीदारी कर रहे हैं। हम अपना बोझ उठा नहीं सकते, पराये गधे बने बैठे हैं। अपने आप को भी धोखा दे रहे हैं और दुनिया को भी धोखा दे रहे हैं। हम कितने मनमुख, मुगध और गंवार हैं कि अपने मरण-जन्म को भी भूले बैठे हैं । कबीर साहिब फरमाते हैं :- राम पदारथु पाई कै कबीरा गांठि न खोल्ह।। नही पटणु नही पारखु नही गाहकु नही मोलु।। कबीर जी फरमाते हैं उस नाम रूपी दौलत को प्राप्त करके उसे अपने अंदर इतना दबाकर रखो कि उसकी खुशबू तक बाहर न जाये, क्योंकि न तो दुनिया में कोई उसका अधिकारी है, न किसी को खोटे और खरे की पहचान है और न ही उसका कोई ग्राहक है और न ही उसकी कोई कीमत देने को तैयार है। लोग तो बेटे-बेटियों के ग्राहक हैं। धन-दौलत के अभिलाषी हैं। वे उस नाम रूपी दौलत की कीमत देने को तैयार नहीं। उसकी कीमत क्या देनी पड़ती ...