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संतो महात्माओं का अनुभव भजन सुमिरन ही जीवन का उद्धार कर सकता है लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मुक्ति के लिए भजन सुमिरन ही दवाई। पढ़ें

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सूरमा वही है, मन और इंद्रियां जिसके वश में है। क्योंकि अंदर तरक्की उसी मात्रा में होगी जिस मात्रा में यह दोनों वश में होंगे। सुमिरन बाहर भटकते मन को अंतर में लाता है और शब्द से ऊपर की ओर खींचता है। हमारे अंदर अखूट भंडार है। वह परमात्मा खुद भी हमारे अंदर है। जो अंदर जाता है, वही इसका अनुभव करता है; और लोगों को तो इसका अनुमान तक नहीं है।   -------- महाराज सावन सिंह ------- सोच विचार में पड़े से हम अपना ध्यान तीसरे तिल पर एकाग्र नहीं कर पाते और शब्द से जुड़ नहीं पाते। इस रोग से हमारे अहं का पोषण होता है और वह और अधिक मजबूत होता जाता है। अहंकार या होमैं हमारी आत्मा को कैंसर के रूप के समान ढक लिया है और यह हमारे जीवन के हर पहलू को नष्ट कर रहा है। हम आत्मिक तौर पर बीमार हैं और भजन सुमिरन ही एकमात्र दवा है। जो हमें निरोग कर सकेगी। अगर हम दवा का प्रयोग ना करें तो हमारा स्वास्थ्य कैसे सुधर सकता है? हम संत मार्ग के बारे में बातें करते हैं, पुस्तके पढ़ते हैं और चर्चा करते हैं। इस विषय में बहुत कुछ कहा जा चुका है, बहुत कुछ लिखा जा चुका है। चाहे तो हम शेष सारा जीवन बातें कर सकत...