सोमवार, 27 अप्रैल 2020


Radha soami -कुछ दिन पहले मेरे साथ वाले गांव की एक सतसंगी की बात है। जिसे बाबा जी से नामदान मिला हुआ था। भजन करता रहा पर कुछ ना दिखने पर गुस्से हो गया और कुछ समय बाद वो गलत रास्ते पर जाने लगा। 

वह एक पीर की पूजा करने लगा और धागा तवीज करने लगा। और उस पर पीर का साया आता था। बहुत साल बीत गए तो उसकी मौत हो गई। उसके और रिश्तेदार भी सतसंगी थे। उन्होंने ने सोचा की उसकी आत्मा का पता तो करें, की सतगुरु के पास है या उस पीर के पास। 

दूसरे सत्संगी भाइयों ने जब उस सत्संगी के बारे में पूछा।

जिसकी वो पूजा करता था । तो उसी पीर का साया किसी और पर भी चलता था। वह व्यक्ति भी नजदीक का था तो जब वो व्यक्ति गुरूवार को पीर के साये मे बैठा हुआ था, तो उन्हें पूछा- की वो तुम्हारे सेवक की मौत हो गई है तो वो तो आपके पास होगा। वो किस हालात मे है। तब उस व्यक्ति जो पीर के साये में था, उसने जवाब दिया की पहले आया तो वो हमारे पास ही था। 


जब सुन्दर और मनमोहक, छवि वाले सरदार जी आये ।

पर कुछ समय बाद एक बहुत सुन्दर और मनमोहक, छवि वाले सरदार जी आये थे। उसने कहा कि यह मेरा सतसंगी है। हमने बहुत कोशिश की के हम रोक लें, पर हम रोकने में नाकाम रहे। क्योंकि वह सरदार बहुत शक्तिशाली था। यह सुनते ही सभी सतसंगी रिश्तेदार और परिवार गुरु प्रेम में रोने लग गए। 


गुरु जी की दया अपार है। तो यह सोचो की हमारे सतगुरु हमें कितना प्यार करते हैं। लेकिन हम छोटी सी मुसीबत पर भी सतगुरु को ताने देते हैं। और गुस्सा करते हैं। पर हम जानते नहीं के यह कर्म तो हमारे ही किये हुए हैं, तो फिर सतगुरू का क्या दोष है। 


अपने सतगुरू पर विश्वास रखना चाहिए

हमें अपने सतगुरू पर विश्वास रखना चाहिए,  क्योंकि हमारे सतगुरु को हमारी बहुत चिंता है। हमें वही चीजें, वही वस्तुएं हमें देंगे। जिसकी हमें आवश्यकता है। परंतु हमारी सोच उसके बिल्कुल विपरीत है। हम सोचते हैं कि हम ने जो मांगा था, वह हमारे सतगुरु ने हमें नहीं दिया। हम मन की कहे में चलते हैं और वही चीज हमें परेशान करते हैं। इसलिए हमें संतो के हुक्म के अनुसार चलना है। उनकी हुकुम की पालना करना है।

                    राधास्वामी

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राधास्वामी जी

आप सभी को दिल से राधास्वामी जी