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गुरु की बातों पर करोगे अमल तो गुरु होंगे खुश। भजन सुमिरन में लगेगा मन। लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

गुरमुख और मनमुख में अंतर, बाबा जी ने समझाया

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संत हमेसा सत्संग पर जोर देते हैं, क्योंकि सत्संग में जाने से यह हमें पता चलता है कि मनमुख और गुरमुख में क्या फर्क है।  गुरमुख केवल गुरू की बातों पर अमल करते हैं। और मनमुख लोग केवल मन के कहे में चलते हैं। मनमुख दुनिया की इच्छाओं में फंसे रहते  हैं। हमें केवल गुरु के हुकुम में चलना है। मनमुख लोगों की सोच :- मन मुख लोग हमेशा भूखे रहते हैं। परमात्मा उन्हें जो चाहे चीजें बख्श दें, कितनी ही नेक संतान हो, धन-दौलत हो, दुनिया में मान इज्जत और पढ़ाई हो, सेहत हो लेकिन वे फिर भी कभी परमात्मा से परमात्मा को नहीं मांगते। वह हमेशा परमात्मा से अपनी दुनिया की इच्छाएं और तृष्णाऐं पूरी करवाना चाहते हैं। वे लोग हमेशा दुनिया के पदार्थों और शक्लों की और ही भागते हैं। गुरु अमरदास जी समझाते हैं कि ऐसे लोगों की कभी भूले-भटके भी संगति नहीं करनी चाहिए। बल्कि उनसे लाखों कोस दूर रहना चाहिए। फिर किस की संगति करनी चाहिए? आप जी उपदेश देते हैं। हे परमात्मा! संतों-महात्माओं की संगति ओर सोहबत दे, ताकि तेरा पता चले, तेरी तरफ हमारा ख्याल जाये। बाबाजी इन बातों को भी पढें :- ये सबसे अच्छा आसन...