एक बार इसको पढ़ोगे तो आंखें खुल जायेंगी

इस दुनिया में जितने भी भी संत महात्मा आए हैं| उन सभी का यही कहना है कि की परमात्मा का ध्यान करो| भजन सुमिरन करो| वहां पर केवल आपकी भक्ति की कद्र की जाएगी, ना कि आपकी जाति और धर्म पूछा जाएगा| परमात्मा के दरबार में केवल भक्ति भाव ही देखा जायेगा| परमात्मा की कोई जाति या धर्म नहीं होता उस मालिक की कोई कौम नहीं है, उसका कोई मजहब या मुल्क नहीं है| न ही उस मालिक की कोई जाति या रंग-रूप है| अगर हम महात्माओं की वाणीयों का ध्यानपूर्वक अध्ययन करें तो पता चलेगा कि वे हमारे ख्याल को जाती-पाती, कौम, मजहब और मुल्क के भेद-भाव से ऊंचा उठाकर हमारे अंदर परमात्मा की भक्ति का शौक और प्यार पैदा करते हैं| वह हमें परमात्मा की भक्ति करना सिखाते हैं| हमारे अंदर परमात्मा के प्रति प्रेम भरते हैं। इन पर भी अमल करें:- पूर्ण सतगुरु कौन? पहचान कैसे हो? जिस परमात्मा ने अपने हुकुम के द्वारा इस सृष्टि की रचना की है, अगर उसका कोई रंग-रूप और जाति नहीं है तो हमारी आत्मा की ---जो उस परमात्मा की अंश है, उस परमात्मा से ही निकली है और वापस जाकर उसमें ही समाना चाहती है--- कैसी कोई जाति हो सकती है? जब समुंद्र ...