रविवार, 24 मार्च 2019

मनुष्य जन्म को सार्थक करना है? तो रूहानियत की इन बातों पर करें अमल

Radha Soami- हम अपने इस मनुष्य जन्म को सार्थक कर सकते हैं। हम उस परमपिता परमात्मा को पा सकते हैं। बस  हमें कुछ रूहानियत की बातों पर अमल करना होता है। अगर हम उन रूहानियत के नियमों के अनुसार चलेंगे तो हम परमपिता परमात्मा को पा लेंगे और इस चौरासी के जेलखाने से आजाद हो सकते हैं।

क्या है रूहानियत के नियम जानें?
1. सबसे पहले अपने व्यवहार में सादगी बनायें रखें।
2. हर किसी व्यक्ति का सम्मान करें और सत्संग से जुड़े रहें।
3. कभी किसी का दिल ना दुखायें। प्यार और प्रेम बनाए रखें।
4. मुसीबत में एक-दूसरे व्यक्ति की मदद करें।
5. पूर्ण सतगुरु की खोज करें, उसके हुकुम में चलें



6. हक हलाल की कमाई करें, हक हलाल की कमाई पर गुजारा करें।
7. सतगुरु के बताए गए उपदेशों पर चलें। गलत संगति में ना बैठें।
8. किसी प्रकार का नशा ना करें। पराई स्त्री को बहन, माता, पुत्री के समान समझें।
9. किसी जीव की हत्या ना करें और उस परमपिता परमात्मा का ध्यान करें।
10. सतगुरु द्वारा प्राप्त नामदान से हम उस परमपिता परमात्मा को पा सकते हैं। इसलिए हमें उस नाम युक्ति का फायदा उठाना है। हर रोज बिना नागा भजन सुमिरन करना है।

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भजन सिमरन पर रखें ध्यान :

इसीलिए संत महात्मा समझाते हैं कि हमें ज्यादा से ज्यादा भजन सिमरन पर जोर देना चाहिए, ताकि हमारा इस मनुष्य जन्म में आने का मकसद पूरा हो जाए और उस परमपिता परमात्मा में समा जाएं। इसीलिए हमें सतगुरु के हुक्म में चलना है और रूहानियत की सभी बातों पर अमल करना है।

बुधवार, 13 मार्च 2019

रूहानियत में इन बातों पर ध्यान रखना बहुत जरूरी है : बाबाजी

Radha Soami- संतों की शरण किसी क़िस्मत वाले को मिलती है। और जो इंसान संतों की शरण में चला जाता है। समझो उसका परमात्मा से मिलने का रास्ता साफ हो गया। वो इंसान अपने संत-सतगुरु से नाम की युक्ति प्राप्त करके, रूहानियत की राह पर चल कर अपने जीवन को सार्थक कर सकता है।



हक हलाल की कमाई पर गुजारा 

संत हमेशा रूहानियत के रास्ते पर चलने की नेक सीख बतलाते हैं। हमें सत्य पर चलना और हक हलाल की कमाई पर गुजारा करने की प्रेरणा देते हैं। क्योंकि हक हलाल की कमाई से हमारा मन ज्यादा विचलित नहीं होता, वह सही राह पर रहता है। इसलिए हमें हक हलाल की कमाई पर गुजारा करना चाहिये।



एक रूहानियत की खास कला

हमें अपना व्यवहार बिल्कुल शांत स्वभाव में रखना चाहिये। जितना हम शांत स्वभाव में रहेंगे, उतना ही हमारा मन एकाग्र होगा। और आसपास में अपना वातावरण भी खुशनुमा रहेगा। हर व्यक्ति के साथ बड़ी नम्रता से पेश आना चाहिए। यह एक रूहानियत की खास कला है, जिसके जरिए हम मन को एकाग्र करने में बहुत बड़ी सफलता प्राप्त कर सकते हैं।



भजन-सुमिरन का उचित समय कौन सा?

भजन-सुमिरन हमें समय पर करना चाहिए। उचित समय कौन सा है? उचित समय सुबह का होता है, क्योंकि उस समय हम बहुत ही तरोताजा महसूस करते हैं और हमारा मन भी शांत होता है। 


उस समय अगर हम अब भजन सुमिरन पर बैठते हैं तो हमारा ध्यान एकाग्र होगा और परम पिता परमात्मा के चरणों में जल्द ही लगेगा और हम उस परमपिता को प्राप्त कर सकते हैं। बाकी किसी भी समय हम भजन-सुमिरन कर सकते हैं। लेकिन सुबह का समय बहुत ही शांत होता है इसलिए सुबह के समय को महत्व देते हैं।
                   राधास्वामी

सोमवार, 4 मार्च 2019

सतगुरु परमात्मा और जीवों के बीच की कड़ी: बाबाजी

Radha Soami- सतगुरु एक रूहानी मार्गदर्शक यानी आदर्श हैं। उनका कार्य परमार्थ की खोजियों को सांसारिक बंधनों से छुड़ाकर रूहानियत के परम लक्ष्य तक ले जाना । सतगुरु सर्वोच्च है, सर्वव्यापक है और सब कुछ उन में समाया हुआ है। वहीं केंद्र बिंदु है, मध्य बिंदु और आधार बिंदु है।



सतगुरु सृष्टि का रहस्य की कुंजी
सतगुरु सृष्टि का रहस्य जानने की कुंजी है। सारा ब्रह्मांड उन्हीं में समाया हुआ है। जो सतगुरु के शब्द स्वरूप से जुड़ गए हैं। जिन्होंने उनका नूरी स्वरूप देखा है,

जिन्हें आंतरिक अनुभव हो चुका है, वे जानते हैं कि सतगुरु और परमात्मा के बीच कोई भेद नहीं है। उनके लिए सतगुरु और परमात्मा एक ही है, अलग नहीं है।वह परमात्मा का हिस्सा है।




दोनों एक ही शब्द, एक ही तेज़, एक ही शक्ति और एक ही चेतना है, ठीक उसी तरह जैसे सूरज और उसकी किरण। हमें निजी अनुभव से यह एहसास हो जाता है कि हमारे लिए पहली सच्चाई सतगुरु है, उसके बाद परमात्मा।


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परमात्मा हमारी पहुंच से परे है। वह अपने जीवों तक खुद नहीं पहुंचता और जीव भी अपने आप परमात्मा तक नहीं पहुंच सकते। लेकिन वक्त के सतगुरु की सहायता से परमात्मा को प्राप्त किया जा सकता है।


बिना सतगुरु कुछ संभव नही
बिना सतगुरु के कुछ भी संभव नहीं है। जबकि सतगुरु के सहारे सब कुछ संभव है। सतगुरु मंजिल तक पहुंचने का जरिया है। असल में उनके बिना और कोई मंजिल ही नहीं है। सतगुरु हमारे लिए जरिया बनते हैं, वह परमात्मा और उसके जीवों के बीच की कड़ी है।

                ||  राधास्वामी ||

संत मार्ग सिद्धांत की जानकारी के लिए पढ़ें

राधास्वामी जी

आप सभी को दिल से राधास्वामी जी