Radha Soami-बाबाजी अपने सत्संगों में अक्सर फ़रमाते है कि भजन सुमिरन में सेवा भाव होना बहुत जरूरी है। सेवा से मन में नम्रता आती है। मन में नम्रता से हमे भक्ति यानी परमात्मा से मिलाप करने में आसानी होती है। मन भजन में लगता है, जिससे हम परमात्मा की भक्ति की ओर ज्यादा ध्यान दे पाते हैं, यानी हम परमात्मा की ओर करीब आ जाते हैं।
हमें बाबा जी द्वारा बताए गए तरीकों पर अमल करते हुए भजन सुमिरन करना है। और जब भी हमें सेवा करने का मौका मिले, हमें दिल से सेवा करनी चाहिए। क्योंकि सेवा से मन में नम्रता, दीनता आती है।
जिससे मन झुकना सीखता है। जिसके जरिए हम भजन सुमिरन ठीक से कर पाते हैं, क्योंकि मन में नम्रता आने के कारण मन एक जगह आकर रुक जाता है स्थिर हो जाता है।
जिससे मन झुकना सीखता है। जिसके जरिए हम भजन सुमिरन ठीक से कर पाते हैं, क्योंकि मन में नम्रता आने के कारण मन एक जगह आकर रुक जाता है स्थिर हो जाता है।
बाबाजी के कथन :- सच्चा नाम ही हमारे मन को निर्मल, पवित्र और पाक कर सकता है।
सेवा अनेक प्रकार की हो सकती है, बड़े बुजुर्ग की सेवा करना, हक हलाल की कमाई खाना, बाबा जी के हुकम में रहना और सब से अत्याधिक जरूरी बात कि बाबा जी द्वारा बताए गए विधि अनुसार ज्यादा से ज्यादा समय भजन सिमरन को को देना। यह सबसे बड़ी सेवा है। जितनी सेवा हम भजन सिमरन मेरे करेंगे बाबा उतने ही खुश होंगे। हम परमात्मा के उतने ही करीब होंगे।
|| राधास्वामी ||
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