Radha Soami-संत-महात्माओं का संदेश हर जाति के लिए, हर कौम के लिए, हर मजहब के लिए होता है। संत-महात्मा अपनी वाणीयों में रूहानियत का जिक्र करते हुए फरमाते हैं की हर एक जीव के अंदर परमात्मा वास करता है।
हर एक जीव, पशु , पक्षी के अंदर परमात्मा बसा हुआ है। हमें केवल पहचानने की जरूरत है। और इसकी पहचान कैसे की जाए। इसकी हमें कैसे जानकारी मिले। इसके लिए हमें किसी वक्त के संत-सतगुरु की आवश्यकता होती है, जो हमें इस राह की जानकारी दे सकें।
हर एक जीव, पशु , पक्षी के अंदर परमात्मा बसा हुआ है। हमें केवल पहचानने की जरूरत है। और इसकी पहचान कैसे की जाए। इसकी हमें कैसे जानकारी मिले। इसके लिए हमें किसी वक्त के संत-सतगुरु की आवश्यकता होती है, जो हमें इस राह की जानकारी दे सकें।
वक़्त के सतगुरु की शरण
हमें किसी वक्त की सतगुरु की शरण लेनी होती है। उनके सतसंग का समागम करना होता है। हमें उनके विचारों को सुनकर, उनके विचारों पर अमल करना होता है।
क्योंकि जब तक हम उनके विचारों पर अमल नहीं करेंगे, उनके कहने के अनुसार नहीं चलेंगे तो हम रूहानियत की राह पर नहीं चल सकेंगे, और ना हम उस परमात्मा को पा सकेंगे। इसलिए संत महात्मा समझाते हैं कि सबसे पहले किसी इस वक्त की संत सतगुरु की शरण में जाओ और उसे रूहानियत के बारे में जानकारी प्राप्त करो।
हमें किसी वक्त की सतगुरु की शरण लेनी होती है। उनके सतसंग का समागम करना होता है। हमें उनके विचारों को सुनकर, उनके विचारों पर अमल करना होता है।
क्योंकि जब तक हम उनके विचारों पर अमल नहीं करेंगे, उनके कहने के अनुसार नहीं चलेंगे तो हम रूहानियत की राह पर नहीं चल सकेंगे, और ना हम उस परमात्मा को पा सकेंगे। इसलिए संत महात्मा समझाते हैं कि सबसे पहले किसी इस वक्त की संत सतगुरु की शरण में जाओ और उसे रूहानियत के बारे में जानकारी प्राप्त करो।
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बाबा जी फरमाते हैं
कि जब हमें वक्त के सतगुरु के दर्शन हो जाते हैं, जब हमें वक्त की पूर्ण सतगुरु की शरण का मौका मिल जाता है। तो हमें उसका पूरा फायदा उठाना चाहिए। हमें वहां से, उन सतगुरु से, पूर्ण सतगुरु से उस रूहानियत के बारे में जानकारी प्राप्त करके उस रूहानियत पर चलने की युक्ति प्राप्त करनी है, और हमें उनके द्वारा बताए गई युक्ति पर पूरा अमल करना है। उनके दिए गए नामदान, शब्द की पूरी महिमा करनी है।
कि जब हमें वक्त के सतगुरु के दर्शन हो जाते हैं, जब हमें वक्त की पूर्ण सतगुरु की शरण का मौका मिल जाता है। तो हमें उसका पूरा फायदा उठाना चाहिए। हमें वहां से, उन सतगुरु से, पूर्ण सतगुरु से उस रूहानियत के बारे में जानकारी प्राप्त करके उस रूहानियत पर चलने की युक्ति प्राप्त करनी है, और हमें उनके द्वारा बताए गई युक्ति पर पूरा अमल करना है। उनके दिए गए नामदान, शब्द की पूरी महिमा करनी है।
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भजन को पूरा समय दें
हमें दिन रात 24 घंटे जब भी वक्त मिले उस परमात्मा को शुकराना करना है, और भजन बंदगी करनी है। ज्यादा से ज्यादा समय हमें भजन-सुमिरन को देना है। क्योंकि भजन-सुमिरन ही एक ऐसी युक्ति है, ऐसा रास्ता है जिस पर चलकर हम उस परमात्मा को पा सकते हैं।
उस परमात्मा में हम शामिल हो सकते हैं और हमारा इस चौरासी के जेलखाने के आवागमन के चक्कर से छुटकारा प्राप्त हो सकता है। हमारे पास यही एक आखरी समय है, जिसका हम फायदा उठाकर परमात्मा मे मिल सकते हैं।
हमें दिन रात 24 घंटे जब भी वक्त मिले उस परमात्मा को शुकराना करना है, और भजन बंदगी करनी है। ज्यादा से ज्यादा समय हमें भजन-सुमिरन को देना है। क्योंकि भजन-सुमिरन ही एक ऐसी युक्ति है, ऐसा रास्ता है जिस पर चलकर हम उस परमात्मा को पा सकते हैं।
उस परमात्मा में हम शामिल हो सकते हैं और हमारा इस चौरासी के जेलखाने के आवागमन के चक्कर से छुटकारा प्राप्त हो सकता है। हमारे पास यही एक आखरी समय है, जिसका हम फायदा उठाकर परमात्मा मे मिल सकते हैं।
|| राधास्वामी ||
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