बाबा जी फरमाते हैं की शब्द ने इस दुनिया की रचना की है और जिस समय परमात्मा उस शब्द की ताकत को इस दुनिया से खींच लेगा, यहां प्रलय और महाप्रलय हो जाएगी। यह जितनी भी दुनिया की रचना है, सब पांच तत्वों की बनी हुई है। ये पांच तत्व है :- पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश। हर एक चीज में कोई ना कोई तत्व मौजूद है। ये पांचों ही तत्व एक-दूसरे के दुश्मन है। लेकिन शब्द के कारण और शब्द के आसरे ही यह एक-दूसरे का साथ दे रहे हैं।
शब्द की ताकत
जिस समय परमात्मा उस शब्द की ताकत को दुनिया से निकाल लेता है। पृथ्वी पानी में ही भूल जाती है, पानी को अग्नि ख़ुश्क कर देती है, अग्नि को हवा उड़ा ले जाती है और हवा को आकाश खा जाता है। और इस सारी दुनिया में धुंधकार छा जाता है। इसी तरह हमारा यह शरीर पांच तत्वों का पुतला है। जब तक उस शब्द की किरण हमारे अंदर है। हम दुनिया में किस तरह दौड़ते फिरते हैं।
जिस दिन उस शब्द की किरण या आत्मा को परमात्मा शरीर से निकाल लेता है। हमारा सारा शरीर यानी यह पांचों तत्व बेकार हो जाते हैं। ये पांच तत्व, पांच तत्वों में ही जाकर मिल जाते हैं और हमारी हस्ती खत्म हो जाती है। इसी तरह महात्मा समझाते हैं कि उस शब्द के आधार पर सारी दुनिया चल रही है।
बाबाजी के विचार :- बाबाजी के इन वचनों का कोई मोल नही है। क्या है यें वचन?
अब हम खुद ही अनुमान लगा सकते हैं, कि जिस ताकत ने दुनिया की रचना की हो। उसका क्या इतिहास हो सकता है। क्या समय और क्या अवधि तय की जा सकती है। उसका समय और उसकी अवधि तो कोई हो ही नहीं सकती।
बाबाजी के विचार :- कुछ और विचारणीय सन्देश जो आपकी दिशा बदल देगा।
हमें मुक्ति प्राप्त करने के लिए उस सच्चे शब्द की जरूरत है। वह सच्चा शब्द परमात्मा ने सब मनुष्यों के अंदर रखा है। जब तक हम अपने शरीर के अंदर उस सच्चे शब्द को खोज कर अपने ख्याल को उससे नहीं जोड़ते, अपने आपको उसमें जज़्ब और लवलीन नहीं करते, हम कभी मुक्ति प्राप्त नहीं कर सकते। इसलिए हमें चाहिए कि भजन सिमरन लगातार करते रहें।
|| राधास्वामी ||
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