अगर इसको नही पढ़ा तो सब अधूरा ही समझो

संत महात्मा हमेशा समझाते आए हैं सिमरन और ध्यान कि हमें कुदरती आदत पड़ी हुई है। इसलिए इस कुदरती आदत से फायदा उठाओ। दुनिया के सिमरन और ध्यान के स्थान पर मालिक के नाम का सिमरन और ध्यान करो। क्योंकि सिमरन को सिमरन काटेगा और ध्यान को ध्यान काटेगा। पानी की मारी हुई खेती पानी से ही हरी भरी होती है। दुनिया की नाशवान चीजों का सिमरन करके हम उनसे मोहब्बत किये बैठे हैं। उनमें से कोई भी चीज जो हमारा साथ देने वाली नहीं है। उनका मोह या प्यार हमें बार-बार देह के बंधनों की ओर ले आता है। हमें चाहिए कि उस मालिक के नाम का सिमरन और ध्यान करें जो कभी फ़ना नहीं होता, जिसकी हमारी आत्मा अंश है और जिसके अंदर वह समाना चाहती है। बाबा जी की इस बात को भी पढें :- बाबा जी की इन बातों पर करें अमल, हो जाएगा उद्धार। बाबा जी समझाते हैं :- यह हमारा मन जो विषयों-विकारों में, दुनिया के मोह या प्यार में फंसकर हिरण की तरह भटकता फिरता है। जब यह राम नाम या शब्द के साथ जुड़ जाता है तो हमेशा के लिए बिंध जाता है। इसके अलावा और कोई विचार करना या इस मन को वश में करने का कोई और उपाय करना व्यर्थ है। सिर्फ सच्...