बाबाजी हमेशा सत्संग में समझाते हैं कि इस दुनिया में हम कभी सुख और शांति प्राप्त नहीं कर सकते। यह जो थोड़े बहुत सुख नजर आ रहे हैं, समय पाकर दुखों में बदल जाते हैं। महात्मा हमें अपने अनुभव से समझाते हैं कि जब तक हमारी आत्मा परमात्मा से नहीं मिल जाती, जब तक हम कभी सुख और शांति प्राप्त नहीं कर सकते। संसार की धन-दौलत और शक्लों से हम कभी सुख और शांति प्राप्त नहीं कर सकते। जब तक हमारा ख्याल मालिक की भक्ति की ओर नही जायेगा जब तक हम दुखों का सामना करते रहेंगे। महाराज सावन सिंह जिस जगह पर मन और माया का जोर है, वहां शांति कभी रह ही नहीं सकती। देश, जाति और इंसान के झगड़े और दु:ख यहां बने ही रहेंगे। आत्मा को शांति पाने के लिए दूसरे मंडलों की खोज करनी होगी। शांति की खोज करना इंसान का काम है। हर एक इंसान को अपने अंदर खोजना होगा। विचार करें :- गुरमुख और मनमुख में अंतर, बाबा जी ने समझाया शांति की प्राप्ति के लिए सही मार्ग की खोज करना, अपने आत्मिक अस्तित्व में विश्वास प्रकट करना है। हर प्रकार का बाहरी संघर्ष और बाहरी अशांति वास्तव में आंतरिक संघर्ष और आंतरिक अशांति का ह...
राधास्वामी जी
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