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परमात्मा को पाना है तो भजन-सुमिरन पर जोर दें। लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

संतों की वाणी - अमृतवाणी कर देती उद्धार : बाबाजी

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संत-महात्मा अपने सत्संगों में अक्सर फरमाया करते हैं की संत सत्य पर प्रकाश डालते हैं। सत्य का अनुभव हमारे सामने रखते हैं। सत्य क्या है? यह सब बातें सत्संग के जरिए हमें समझाते हैं। संत अपनी वाणी में इतना असरदार रस खोलते हैं कि उनकी वाणी अमृत के समान लगती है। क्योंकि वे अपनी वाणी में सच पर जोर देते हैं। संत महात्मा समझाते हैं :- जो पौधा हम लगाते हैं,  उसकी वृद्धि करना हमारे बस में नहीं है। वह पौधा अपने समय पर ही फूलेगा-फलेगा। हमारा काम तो महज गड्ढा खोदकर, खाद डालकर, बीज बोकर उसे मिट्टी से ढक देना है। उसे पानी देना है, उसकी कीड़ों से रक्षा करनी है तथा रोज-रोज उसकी देखभाल करना है। यह भी पढें :- कैसे जानें? वक़्त के सतगुरु से रूहानियत की राह हम केवल इतना ही कर सकते हैं। किस गति से पौधा पड़ता है, यह हमारे हाथ में नहीं है। अगर भजन-सिमरन के प्रति भी हमारी ऐसी ही मनोवृति हो जाए तो हम सतगुरु के काम में बाधा नहीं डालेंगे और आध्यात्मिकता का पौधा निश्चय ही बढेगा और हमारे जीवन में फलीभूत होगा। अपने आपको मजबूत बनाये : अगर पौध की जड़े पूरी तरह से गहरी और मजबूत होने...