संतमत का सिद्धांत है, कि हमेशा हक-हलाल की कमाई पर गुजारा करना, नेक नियत पर चलना, कभी भी परमात्मा आपका बुरा नहीं करेगा। सामने वाला चाहे आप का कितना भी बुरा करने की कोशिश क्यों ना करें, परंतु वह परमात्मा आप का बुरा नहीं होने देंगे। परमात्मा को हर एक जीव के बारे में पूरा ज्ञान होता है कि उसके अंदर क्या चल रहा है। उसकी सोच कैसी है। उसका दूसरे व्यक्ति के लिए दिल में क्या जगह है। परमात्मा नेक नीति वाले व्यक्ति के हमेशा साथ रहते हैं। और उसका हर एक मुसीबत की स्थिति में साथ खड़े रहते हैं।
बाबाजी के विचार :- बाबाजी के इन वचनों का कोई मोल नही है। क्या है यें वचन?
परमात्मा की युक्ति पाना सौभाग्य की बात
परमात्मा हमेशा अपने शिष्य की देखरेख करता है। और जो मनुष्य परमात्मा से जुड़े होते हैं, जो उस परमात्मा की याद में समय बिताते हैं। वह जीव मालिक के प्यारे होते हैं। परमात्मा की भक्ति करना बहुत बड़े सौभाग्य की बात है, क्योंकि उस परमात्मा की मंजूरी से ही हमें उस परमात्मा की शरण में जाने का मौका मिला। हमें एक देहधारी सतगुरु की शरण मिली। जिसके जरिए हम इस मनुष्य जन्म का लाभ उठा सकते हैं। परमात्मा की भक्ति करके हम इस चौरासी के जेलखाने से छुटकारा पा सकते हैं, और यह आखिरी मौका है। अगर अब भी हमने इसका फायदा नहीं उठाया तो इसके अलावा हमें ऐसा सुनहरी अवसर नहीं मिलने वाला है।
परमात्मा हमेशा अपने शिष्य की देखरेख करता है। और जो मनुष्य परमात्मा से जुड़े होते हैं, जो उस परमात्मा की याद में समय बिताते हैं। वह जीव मालिक के प्यारे होते हैं। परमात्मा की भक्ति करना बहुत बड़े सौभाग्य की बात है, क्योंकि उस परमात्मा की मंजूरी से ही हमें उस परमात्मा की शरण में जाने का मौका मिला। हमें एक देहधारी सतगुरु की शरण मिली। जिसके जरिए हम इस मनुष्य जन्म का लाभ उठा सकते हैं। परमात्मा की भक्ति करके हम इस चौरासी के जेलखाने से छुटकारा पा सकते हैं, और यह आखिरी मौका है। अगर अब भी हमने इसका फायदा नहीं उठाया तो इसके अलावा हमें ऐसा सुनहरी अवसर नहीं मिलने वाला है।
बाबाजी के विचार :- पाँच तत्व का क्या है राज़? बाबाजी ने बताया
बाबाजी फ़रमाते हैं
बाबाजी अपने हर सत्संग में फरमाते रहते हैं की जो मनुष्य जन्म का लाभ नहीं उठाता। वह हमेशा नाशवान संसार में भटकता रहता है। वह जीव कभी भी शांति प्राप्त नहीं कर सकता, चाहे उस व्यक्ति को कितनी भी धन-दौलत, कितनी जमीन जायदाद मिल जाए। परंतु फिर भी गरीब जैसी स्थिति में ही रहेगा, क्योंकि जब तक परमात्मा को नहीं पा लेता कोई भी व्यक्ति धनवान नहीं हो सकता। क्योंकि उस नाम या शब्द के बराबर इस सृष्टि में कोई भी ऐसी चीज़ नहीं है। क्योंकि शब्द का कोई मोल नहीं है, वह अमोलक है। उसकी कोई हद नहीं है, वह अनहद नाद है। वह चोबिस घंटे हमारे अंदर बच रही धुनकार जो व्यक्ति उसको समझ लेता है, जो इस युक्ति को पाकर उस भक्ति में लीन रहता है। वह परमात्मा को पा लेता है और इस सृष्टि में सबसे उच्च श्रेणी का जीव कहलाता है।
बाबाजी अपने हर सत्संग में फरमाते रहते हैं की जो मनुष्य जन्म का लाभ नहीं उठाता। वह हमेशा नाशवान संसार में भटकता रहता है। वह जीव कभी भी शांति प्राप्त नहीं कर सकता, चाहे उस व्यक्ति को कितनी भी धन-दौलत, कितनी जमीन जायदाद मिल जाए। परंतु फिर भी गरीब जैसी स्थिति में ही रहेगा, क्योंकि जब तक परमात्मा को नहीं पा लेता कोई भी व्यक्ति धनवान नहीं हो सकता। क्योंकि उस नाम या शब्द के बराबर इस सृष्टि में कोई भी ऐसी चीज़ नहीं है। क्योंकि शब्द का कोई मोल नहीं है, वह अमोलक है। उसकी कोई हद नहीं है, वह अनहद नाद है। वह चोबिस घंटे हमारे अंदर बच रही धुनकार जो व्यक्ति उसको समझ लेता है, जो इस युक्ति को पाकर उस भक्ति में लीन रहता है। वह परमात्मा को पा लेता है और इस सृष्टि में सबसे उच्च श्रेणी का जीव कहलाता है।
|| राधास्वामी ||
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें