हम दुनिया के जीव् हमेशा, दिन-रात पेट के धंधों की खातिर भटकते रहते हैं और उस लक्ष्य के बारे में कभी नहीं सोचते, जिसके लिए मालिक ने हमें यहां भेजा है। हमारी अपने घर में आग लगी हुई है और हमें लोगों की आग बुझाने की फिक्र लगी हुई है। अपना घर लूटा जा रहा है, हम दूसरों के घरों की चौकीदारी कर रहे हैं। हम अपना बोझ उठा नहीं सकते, पराये गधे बने बैठे हैं। अपने आप को भी धोखा दे रहे हैं और दुनिया को भी धोखा दे रहे हैं। हम कितने मनमुख, मुगध और गंवार हैं कि अपने मरण-जन्म को भी भूले बैठे हैं।
कबीर साहिब फरमाते हैं :-
राम पदारथु पाई कै कबीरा गांठि न खोल्ह।।
नही पटणु नही पारखु नही गाहकु नही मोलु।।
राम पदारथु पाई कै कबीरा गांठि न खोल्ह।।
नही पटणु नही पारखु नही गाहकु नही मोलु।।
कबीर जी फरमाते हैं उस नाम रूपी दौलत को प्राप्त करके उसे अपने अंदर इतना दबाकर रखो कि उसकी खुशबू तक बाहर न जाये, क्योंकि न तो दुनिया में कोई उसका अधिकारी है, न किसी को खोटे और खरे की पहचान है और न ही उसका कोई ग्राहक है और न ही उसकी कोई कीमत देने को तैयार है। लोग तो बेटे-बेटियों के ग्राहक हैं। धन-दौलत के अभिलाषी हैं। वे उस नाम रूपी दौलत की कीमत देने को तैयार नहीं। उसकी कीमत क्या देनी पड़ती है? अपने आपको ही मालिक के हवाले करना पड़ता है, जिस हाल में भी वह मालिक रखे उसी हालत में रहते हुए नाम की कमाई करनी पड़ती है।
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नाम की महत्वता :-
हमने दुनिया के सब रसायनों को देख लिया, मगर नाम के बराबर कोई रसायन नहीं है। उसकी एक रत्ती भी अगर शरीर में रच जाए तो हमारा शरीर सोना हो जाता है। मतलब इस शरीर में आने का उद्देश्य पूरा हो जाता है।
हमने दुनिया के सब रसायनों को देख लिया, मगर नाम के बराबर कोई रसायन नहीं है। उसकी एक रत्ती भी अगर शरीर में रच जाए तो हमारा शरीर सोना हो जाता है। मतलब इस शरीर में आने का उद्देश्य पूरा हो जाता है।
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हमें भी चाहिए कि संत महात्माओं के विचारों पर अमल करें। उनसे ज्ञान प्राप्त करें और अपने व्यवहार को नम्र बनाएं। और इस मनुष्य जन्म का लाभ उठाएं, हर रोज बिना नागा भजन सिमरन करना चाहिए। ताकि इस मनुष्य जन्म का उद्देश्य पूरा हो जाये।
|| राधास्वामी ||
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