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नानक दुखीआ सभ संसार, आओ इस पर करें विचार

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Radha Soami - सन्त समझाते हैं की भजन-सिमरन द्वारा हमें आज के वर्तमान पल में विचरने, इस पल में एकाग्र और स्थिर होने का प्रशिक्षण मिलता है। ध्यान सुमिरन में रखने से हम हौमें को बल देने वाली अतीत की यादों और भविष्य की चिंताओं से मुक्त हो जाते हैं। जब ध्यान वर्तमान में हो तो मन हमें अपने जाल में नहीं फंसा सकता। ध्यान को सारे दिन भजन-सिमरन में रखने से हम इसे वर्तमान में खड़ा करने में सफल हो जाते हैं। इस तरह हम हौंमें के बंधनों से मुक्त हो जाते हैं और पल-पल जीवन का आनंद लेते हैं। संसार के सब लोग दुखों और मुसीबतों के सागर में गोते खा रहे हैं। कोई बेरोजगारी और निर्धनता के कारण दुखी है, किसी को रोग के कारण कष्ट है और किसी के घर में मृत्यु हो जाने से शोक छाया हुआ है। गुरु नानक साहिब कहते हैं  नानक दुखिआ सब संसार। सो सुखिया जिस नाम आधार।। मुसलमान संतों ने भी संसार को दुखों का घर कहा है। संसार के दो भाग हैं- जल और थल।  जल में छोटी मछली को बड़ी मछली खा जाती है और बड़ी मछली को और बड़ी मछली निंगल जाती है। थल पर भी बड़े पक्षी छोटे पक्षियों को और बड़े पक्षी छोटे पक्षियों को और छोट...
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Radha soami -कुछ दिन पहले मेरे साथ वाले गांव की एक सतसंगी की बात है। जिसे बाबा जी से नामदान मिला हुआ था। भजन करता रहा पर कुछ ना दिखने पर गुस्से हो गया और कुछ समय बाद वो गलत रास्ते पर जाने लगा।  वह एक पीर की पूजा करने लगा और धागा तवीज करने लगा। और उस पर पीर का साया आता था। बहुत साल बीत गए तो उसकी मौत हो गई। उसके और रिश्तेदार भी सतसंगी थे। उन्होंने ने सोचा की उसकी आत्मा का पता तो करें, की सतगुरु के पास है या उस पीर के पास।  दूसरे सत्संगी भाइयों ने जब उस सत्संगी के बारे में पूछा। जिसकी वो पूजा करता था । तो उसी पीर का साया किसी और पर भी चलता था। वह व्यक्ति भी नजदीक का था तो जब वो व्यक्ति गुरूवार को पीर के साये मे बैठा हुआ था, तो उन्हें पूछा- की वो तुम्हारे सेवक की मौत हो गई है तो वो तो आपके पास होगा। वो किस हालात मे है। तब उस व्यक्ति जो पीर के साये में था, उसने जवाब दिया की पहले आया तो वो हमारे पास ही था।  बाबाजी के शब्द जब सुन्दर और मनमोहक, छवि वाले सरदार जी आये । पर कुछ समय बाद एक बहुत सुन्दर और मनमोहक, छवि वाले सरदार जी आये थे। उसने कहा कि यह मेरा सत...