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संत मार्ग सिद्धांत की जानकारी के लिए पढ़ें

अमल इस बात पर करो तो मुक्ति संभव

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Radha soami- जब भी हम सत्संग में जाते हैं। तो बाबाजी हमेसा हमें समझते है की भाई अमल करो। अब बात आती है अमल किस पर करना है। भाई अमल नामदान मिला है। उस पर करना है। भजन-सुमिरन करना है। ज्यादा से ज्यादा हमें भजन को समय देना चाहिए। अगर हम नामदान मिलने के बाद नहीं अमल नहीं करते तो हमारा जीवन बेकर है। नामदान की किम्मत कोई बिरला ही जानें। संत महात्मा समझाते है की नाम क्या है? उसकी असलियत क्या है? वो क्या चीज़ है? उसकी किम्मत क्या है? इसकी असलियत हर कोई नहीं जानता। कोई बिरला जीव जो गुरु के हुक्म की पालना करता होगा वही जीव इसकी अहमियत को जान सकता है। हमने बहुत बार सुना होगा की बंदर क्या जानें अदरक का स्वाद। ये बात बिल्कुल सही साबित होती है। क्यों कि जिस जीव के अंदर अगर परमात्मा के प्रति तड़फ नहीं है प्यार नहीं है वो इसकी अहमियत को नहीं समझ सकता। हमें कोई चीज़ अगर मुफ्त में मिल जाती है तो हम उसकी कदर नहीं करते। क्योंकि वो मुफ्त में मिली है। अगर हम उसी चीज़ को अपने पैसों से खरीद कर लाते तो हम उसको बहुत संभाल कर रखते। उसकी देखरेख करते की कहीं बेकार ना हो जाये। बस यही कारण है की हम नामदान ...

गुरु बिन कोई नही संगयन में

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Radha soami- कोई भी जीव इस दुनिया में आता है तो उसके साथ सदा उस परमात्मा का हाथ उसके सिर पर बना रहता है। उसी की मेहर से ही हम दुनिया का सफर तय करते हैं। मालिक हमारे अंग-संग  बाबाजी कई बार फ़रमाते है कि हर घड़ी, हर पल वो मालिक हमारे अंग-संग रहता है। दुःख-सुखः में कभी भी मालिक आपका साथ नही छोड़ते। परन्तु हम इस बात पर ध्यान नहीं देते, की हमारा भी कोई फ़र्ज़ बनता है उस मालिक के प्रति। हमे भी गुरु के प्रति प्रेम जगाना चाहिए। क्योंकि गुरु के बिना हम किसी भी कार्य में सफल नहीं हो सकते।  हमें परमात्मा की भक्ति और ज़ोर देना चाहिए। हमें मनुष्य जन्म मिला है तो उनका फायदा उठाना चाहिए। क्योंकि की मनुष्य जन्म सबसे उत्तम जन्म होता है। औऱ हम परमात्मा की भक्ति भी इसी जन्म में कर सकते हैं। आपको दुःखो का सामना नहीं करना पड़ेगा आप उस कुल मालिक की भक्ति करोगे तो कभी भी आपको दुःखो का सामना नहीं करना पड़ेगा। अगर फिर भी अगर आपको दुःखो का सामना करना पड़ता है वो भी बड़ी आसानी से निकल जायेगा। 

जीवन में आये और ये नहीं किया तो सब बेकार

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Radha Soami- बाबा जी फरमाते हैं कि अगर दुनिया में आये हो और सत्संग का साथ मिला है तो आप बहुत भाग्यशाली हो। क्योंकि की बड़े खुशनसीब जीवों को ही मनुष्य जन्म मिलता है। और ऐसे ही खुशनसीब जीवों को सत्संग मिलता है। लेकिन फिर भी बहुत से लोग इस जीवन का लाभ नहीं उठाते। नामदान ही एक रास्ता बाबाजी हर बार अपने सत्संग में फ़रमाते है कि अगर परमात्मा को पाना है। और अपने निजघर जाना है तो गुरु के हुकमनुसार चलना पड़ेगा। उनके बताये गये रास्ते चलना पड़ेगा। बाबाजी बताते हैं कि अगर नेक नीति से चलोगे तो हर काम बनते चले जायेंगे। और असल काम जो हम करने आये है वो भी बड़ी आसानी से हो जाएगा। कोनसा काम? वो काम है गुरु से नाम की प्राप्ति। जब हम सत्संग में जाते हैं तब हमें नामदान की अहमियत का पता चलता है। नामदान ही जिसके सहारे हम परमात्मा के घर जा सकते हैं। ये अंतिम अवसर गुरु के मतानुसार मनुष्य जन्म ही आखिरी और अंतिम अवसर है जिससे हम अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर सकते है। अगर मनुष्य जन्म हाथ से निकल गया तो पता नहीं कितने सालों तक दुखों का पहाड़ उठाना पड़ेगा। कितनी योनियों में भटकना पड़ेगा। इसलिए बाबा जी बार-बार हि...

कर्मों का हिसाब करना है तो ये काम करो।

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Radha soami- सभी संत यही दोहराते आए हैं कि कर्मों का हिसाब इसी जन्म में करना पड़ता है। लेकिन कर्मों का हिसाब तो करना पड़ेगा, मगर हम उसको बहुत सरल तरीके से कर सकते हैं। यानी कि हम अपने कर्मों का बोझ हल्का कर सकते हैं। अपने बुरे कर्मों का हिसाब, बोझ अगर हमें काम करना है, तो हमें एक आसान काम करना पड़ेगा। हमें किसी संत कि शरण में जाना होगा।  जिससे हम कर्मों के बारे में बहुत कुछ जान सकते हैं और उनसे कैसे छुटकारा पाया जाए। इसकी युक्त भी हमें मिल जाती है। संत बताते हैं की कर्मों का भुगतान तो हमें इसी योनि में करना पड़ता है। मगर हमें उनका कुछ कम कर सकते हैं। वह कैसे कर सकते हैं? कि हम अपने गुरु से नामदान की युक्ति प्राप्त करके और भजन-सुमिरन करके हम यह काम आसान कर सकते हैं। इसलिए हमें किसी पूरे गुरु की शरण में जाना चाहिए। उनसे रूहानियत के बारे में जानकारी प्राप्त करनी चाहिए। क्योंकि संतो को पूरा अनुभव होता है कि कैसे रूहानियत पर चल कर हम अपने कर्मों का बोझ हल्का कर सकते हैं। और अपने निजघर पहुंच सकते हैं। इसलिए हम सब भजन-सुमिरन करें परमात्मा को प्राप्त करें।

कर्मों का हिसाब इसी जन्म में हो जाता है, यक़ीन नहीं तो ये पढ़ो।

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Radha soami- सन्त-महात्मा बताते हैं कि अपने किये हुये सभी कर्मों का हिसाब इसी जन्म में हो जाता है। लेक़िन जीव समझ नहीं पाता। जो जीव किसी रूहानी विचारधारा वाले संगठन से जुड़ा है तो बड़ी आसानी से समझ सकता है। क्योंकि वहां पर रूहानियत के बारे में बताया जाता है कि कैसे जीव आने कर्मों का भुगतान करता है। किसी के कर्म आसानी से काट जाते हैं किसी को बहुत भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। महात्मा बताते हैं कि इस चौरासी के जेलखाने में सब जीव अपना भुगतान करने आते हैं। कोई जीव कीड़े - मकोड़े, कोई जीव जानवर, कोई जीव पक्षियों के जन्म लेकर अपने कर्मों का भुगतान कर रहे हैं। किसी के अच्छे कर्म होते हैं वो जीव अच्छे से जीवन व्यतीत करते हैं बाकी जीव पूरी जिंदगी परेशानियों में निकल देते हैं। बाबाजी के शब्द सुनने के लिए सब्सक्राइब करें। Radhasoami Shabad फिर बात आती है कि कर्मों को कैसे कम किया जाये। या कर्मों को कैसे काटा जाये। सन्त बताते हैं कि भाई किसी सन्त कि शरण में जाओ। किसी पूरे गुरु से रूहानियत की शिक्षा प्राप्त करो। नामदान प्राप्त करो। और भजन-सुमिरन करके अपने कर्मों का बोझ कम कर सकते ह...

नानक दुखीआ सभ संसार, आओ इस पर करें विचार

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Radha Soami - सन्त समझाते हैं की भजन-सिमरन द्वारा हमें आज के वर्तमान पल में विचरने, इस पल में एकाग्र और स्थिर होने का प्रशिक्षण मिलता है। ध्यान सुमिरन में रखने से हम हौमें को बल देने वाली अतीत की यादों और भविष्य की चिंताओं से मुक्त हो जाते हैं। जब ध्यान वर्तमान में हो तो मन हमें अपने जाल में नहीं फंसा सकता। ध्यान को सारे दिन भजन-सिमरन में रखने से हम इसे वर्तमान में खड़ा करने में सफल हो जाते हैं। इस तरह हम हौंमें के बंधनों से मुक्त हो जाते हैं और पल-पल जीवन का आनंद लेते हैं। संसार के सब लोग दुखों और मुसीबतों के सागर में गोते खा रहे हैं। कोई बेरोजगारी और निर्धनता के कारण दुखी है, किसी को रोग के कारण कष्ट है और किसी के घर में मृत्यु हो जाने से शोक छाया हुआ है। गुरु नानक साहिब कहते हैं  नानक दुखिआ सब संसार। सो सुखिया जिस नाम आधार।। मुसलमान संतों ने भी संसार को दुखों का घर कहा है। संसार के दो भाग हैं- जल और थल।  जल में छोटी मछली को बड़ी मछली खा जाती है और बड़ी मछली को और बड़ी मछली निंगल जाती है। थल पर भी बड़े पक्षी छोटे पक्षियों को और बड़े पक्षी छोटे पक्षियों को और छोट...