Radhasoamisantmarg

सोमवार, 26 नवंबर 2018

संत मार्ग की अहमियत कोई विरला ही जाने

राधा स्वामी सत्संग ब्यास में हमेशा हर धर्म का सम्मान किया जाता है! सभी धर्मों का जिक्र किया जाता है! सत्संग में किसी की नींद आए चुगली नहीं की जाती| यहां पर केवल परमार्थ की बातें ही की जाती है! आध्यात्मिक का ज्ञान दिया जाता है!


संतों का उपदेश

फरीद सकर खंड निवात गुड म माखीयो मांझा दूध||
सभे वसतू मीठीआं रब न पूजन तुध||

बाबा फरीद कहते हैं- शक्कर, गुड, खांड, मिश्री, गुड, शहद, भैंस का दूध- ये सब चीजें मीठी है, लेकिन हे परमात्मा! इनमें से कोई भी तुझ तक नहीं पहुंचती यानी तेरी या तेरे नाम की मिठास का मुकाबला नहीं कर सकती|

महात्मा चाहे किसी जाति, धर्म, देश या समय में क्यों न आए हों, सबका एक ही संदेश और एक ही अनुभव है| वे दुनिया में जाति और धर्म बनाने के लिए नहीं आते|, न ही हमें एक-दूसरे से लड़ना भिड़ना-सिखाने आते हैं, बल्कि वह हमारे अंदर उस मालिक की भक्ति का शौक और प्यार पैदा करने और इस देह के बंधनों से आजाद करके हमें मालिक से मिलाने के लिए आते हैं|

संतो महात्माओं की जाने के बाद हमारी सोच

लेकिन हम दुनिया के जीव मालिक के भक्तों और प्यारों के जाने के बाद बाहरमुखी हो जाते हैं, कर्मकांड में उलझ जाते हैं और उन महात्माओं के असली अनुभव और उपदेश को बिल्कुल भूल जाते हैं| हम उनकी असली शिक्षा और रूहानियत को जातियों और धर्म की छोटे-छोटे दायरे में बंद करने की कोशिश करते हैं और एक-दूसरे से लड़ना-भिड़ना शुरू कर देते हैं| जिन महात्माओं की शिक्षा सारे संसार के लिए होती है, उनके उपदेश को जब हमें छोटे-छोटे दायर में बंद करके कौमों-मज़हबों की शक्ल देने की कोशिश करते हैं तो इससे ज्यादा उन महात्माओं के साथ हम और क्या बेइंसाफी कर सकते हैं?

यह सब कुछ हम अपनी पेट की खातिर यह मान बड़ाई के लिए करते हैं| अगर हम तंगदिली को छोड़कर किसी भी महात्मा के अनुभव की खोज करें तो पता चलेगा कि हर एक महात्मा एक ही उपदेश देते हैं एक ही संदेश देते हैं|

              ||  राधा स्वामी ||

2 टिप्‍पणियां:

  1. उपरोक्त सारी बाते पढ़ी और समझी बहुत आनंद आया मेरे समय का आपकी वजह से सदुपयोग हुआ।

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