Radha Soami-संत हमेशा सच पर विचार रखते हैं। संत अपने हर सत्संग में सच के बारे में बतलाते हैं। उस सच के बारे में बतलाते हैं जो हम खुली आंखों से नहीं देख सकते। क्योंकि खुली आंखों से हम केवल संसार को और संसार के अंदर जो भी पदार्थ हैं, हम केवल उन्हीं को देख सकते हैं।
सच के लिए वक्त के सतगुरु की शरण
सच को जानने के लिए, सच को देखने के लिए हमें वक्त के संत सतगुरु की आवश्यकता पड़ती है। हमें वक्त के सतगुरु की शरण चाहिए। वक्त की संत सतगुरु से शब्द, नामदान की प्राप्ति करके, हमें उसका सुमिरन करना है। उस परमपिता परमात्मा की भक्ति करनी है। हमें भजन-सिमरन करना है ताकि सच से सामना हो सके।
बाबाजी के विचार :
प्रयास से ही प्रगति सम्भव है, हार ना मानें
प्रयास से ही प्रगति सम्भव है, हार ना मानें
भजन सिमरन ही एक रास्ता
संत महात्माओं ने अपने सत्संगों में, अपने किताबों में अपने अनुभव हमें समझाते हैं। संत ग्रंथों के जरिए हमें फरमाते हैं की परमात्मा से मिला करना या परमात्मा को पाना है तो केवल भजन-सुमिरन ही एक रास्ता है। इसके अलावा कोई और दूसरा रास्ता नहीं है। अगर भजन-सुमिरन करेंगे तो हम उस परमपिता परमात्मा से जा मिलेंगे। अन्यथा इसी आवागमन के चक्कर में भटकते रहेंगे।
बाबाजी के विचार : सच सच को जानो, वही सच आपको परमात्मा से मिला सकता है: बाबाजी
भजन - सुमिरन पर दें ध्यान
संत महात्मा जब भी सत्संग फरमते हैं तो भजन - सुमिरन पर बहुत ज़ोर देते हैं। क्योंकि ये हमारे लिए एक आखिरी मौका है। इसके बाद शायद कभी ऐसा मौका मिले। ये सीढ़ी का आखिरी डंडा है । हिम्मत करेंगे मकान की छत पर चढ़ जायेंगे अन्यथा फिर से नीचे इस जेलखाने में आ पड़ेंगे। इसीलिए हमे भी सन्तों के कहे अनुसार भजन -सुमिरन करे और इस मनुष्य जन्म का लाभ उठाये। और अपने नीज धाम पहुंचे।
संत महात्मा जब भी सत्संग फरमते हैं तो भजन - सुमिरन पर बहुत ज़ोर देते हैं। क्योंकि ये हमारे लिए एक आखिरी मौका है। इसके बाद शायद कभी ऐसा मौका मिले। ये सीढ़ी का आखिरी डंडा है । हिम्मत करेंगे मकान की छत पर चढ़ जायेंगे अन्यथा फिर से नीचे इस जेलखाने में आ पड़ेंगे। इसीलिए हमे भी सन्तों के कहे अनुसार भजन -सुमिरन करे और इस मनुष्य जन्म का लाभ उठाये। और अपने नीज धाम पहुंचे।
||राधास्वामी ||
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