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Radha soami -कुछ दिन पहले मेरे साथ वाले गांव की एक सतसंगी की बात है। जिसे बाबा जी से नामदान मिला हुआ था। भजन करता रहा पर कुछ ना दिखने पर गुस्से हो गया और कुछ समय बाद वो गलत रास्ते पर जाने लगा।  वह एक पीर की पूजा करने लगा और धागा तवीज करने लगा। और उस पर पीर का साया आता था। बहुत साल बीत गए तो उसकी मौत हो गई। उसके और रिश्तेदार भी सतसंगी थे। उन्होंने ने सोचा की उसकी आत्मा का पता तो करें, की सतगुरु के पास है या उस पीर के पास।  दूसरे सत्संगी भाइयों ने जब उस सत्संगी के बारे में पूछा। जिसकी वो पूजा करता था । तो उसी पीर का साया किसी और पर भी चलता था। वह व्यक्ति भी नजदीक का था तो जब वो व्यक्ति गुरूवार को पीर के साये मे बैठा हुआ था, तो उन्हें पूछा- की वो तुम्हारे सेवक की मौत हो गई है तो वो तो आपके पास होगा। वो किस हालात मे है। तब उस व्यक्ति जो पीर के साये में था, उसने जवाब दिया की पहले आया तो वो हमारे पास ही था।  बाबाजी के शब्द जब सुन्दर और मनमोहक, छवि वाले सरदार जी आये । पर कुछ समय बाद एक बहुत सुन्दर और मनमोहक, छवि वाले सरदार जी आये थे। उसने कहा कि यह मेरा सत...

सेवा सिमरन औऱ सत्संग से सुख नही तो किसकी कमी: बाबाजी ने ये बताया

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Radha Soami - बाबाजी  फरमाते हैं नाम बड़ी ऊँची दौलत है। बड़े भाग्य से मिलता है। जो भाग्य से मिला है तो इसकी कदर करो। दबा कर कमाई करो। हमारा एक एक स्वांस करोड़ की कीमत का है। इसको ऐसे ही न खोवो। सतगुरु जिस दिन नाम देते उस दिन से शिष्य के अंदर बैठ जाते हैं, यह बात शिष्य नहीं समझता। यदि शिषय कमाई करे तो देख ले। बुलेशाह ने भी कहा है-  असाँ ते वख नहीं, देखन वाली अख नहीं, बिना शौह थी, दूजा कख नहीं। गुरु  नानक  देव  जी दुनिया  के  जीव  बहुत  बुरी  तरह  काल  के  जाल  में  फँसे  हुए  हैँ ।  जो  कर्म  पहले  किये  हैं। उनका  नतीजा  अब  रो-पीटकर  भोग  रहे  हैं और उसी  तरह  बुरे-खोटे  पाप  और  कर्म  करते  जा  रहे  हैं ।  भूले  हुए  हैं  कि  इनका  नतीजा  भोगने  के  लिये  फिर  इसी  चौरासी  के  चक्कर  में  आना  पड़ेगा ।...

भजन-सिमरन के द्वारा ही अंदरुनी दर्शन संम्भव है: बाबाजी

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Radha Soami -संत अपने अनुभव के अनुसार हमें रूहानियत के बारे में समझाते हैं। उनके हर सत्संग में केवल और केवल उस परमपिता परमात्मा की दर्शनों की बारे में  समझाते हैं। उनके दर्शन कैसे किए जाएं, उनकी दर्शन कैसे होते हैं, यही सब बातें हमें बार-बार संत-महात्मा उदाहरण दे देकर कर समझाते हैं। दर्शन कैसे होते हैं? कितने प्रकार की होते हैं? यही सब हम आज जानेंगे। रूहानियत में इन सब बातों का ध्यान रखना जरूरी है: बाबाजी          दर्शन तीव्र और गहरे प्रेम का नतीजा है। जब हम बिना कोई कोशिश की सतगुरु की ओर टकटकी लगाकर देखने के लिए मजबूर हो जाते हैं; जब हम उनके आभा मंडल को, उनके नूर को देखकर मुग्ध हो जाते हैं, दंग रह जाते हैं। जब हम उनकी और इस तरह खींचे चले जाते हैं जैसे कोई सुई चुंबक की ओर, जब हम उनकी मौजूदगी में इतने लीन हो जाते हैं, खो जाते हैं मानो दुनिया ठहर गई हो और किसी दूसरी चीज की अहमियत नहीं रहती; जब कशिश इतनी जबरदस्त होती है कि उस पर हमारा वश नहीं रहता और हम अपने आसपास की हर चीज से बेखबर हो जाते हैं- यह भी दर्शन हैं। ...

सत्संगों में से कुछ महत्वपूर्ण चुने हुये प्रेरणादायी वचन

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Radha Soami- संत हमेशा अपने सत्संग में केवल उस परमपिता परमात्मा की प्राप्ति का रास्ता बताते हैं। वहां पर केवल नाम की युक्ति के बारे में समझाते हैं। बताते हैं कैसे?  उस परमपिता परमात्मा को पाए जा सकता है। आज हमने कुछ महत्वपूर्ण शब्द चुने हैं जो रूहानियत के बारे में हमें बहुत सी जानकारी देते हैं। संत कहते हैं की सभी मनुष्य नामरूपी अनमोल रतन प्राप्त करने के लिए इस संसार में आते हैं। परंतु कोई विरले गुरमुख ही इस काम में सफल हो पाते हैं। जो नाम प्राप्त नहीं करते, उन्हें दोबारा जन्म लेना पड़ता है और माता के गर्भ में नौ माह तक उल्टे लटक कर घोर प्रायश्चित करना पड़ता है। उस समय आत्मा का ध्यान निरंतर तीसरे दिन में लगा रहता है और यही ध्यान उसकी रक्षा करता है। वह इस नरक से छुटकारा पाने के लिए प्रभु के चरणों में लगातार प्रार्थना करता रहता है कि अब जन्म मिलने पर वह प्रभु को एकदम याद रखेगा। राधा स्वामी संत मार्ग जन्म लेने के बाद परमात्मा को भूल जाता है मनुष्य जब जीव का जन्म होता है तो सारे परिवार में प्रसन्नता की लहर दौड़ जाती है और सब उससे प्यार करते हैं। उसे चारों और सुंदर दृश्य...

रूहानियत में सतगुरु के बिना कोई सहयोगी नही: बाबाजी

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Radha soami- बाबाजी अपने सत्संग में बार-बार फ़रमाते रहते है कि भजन सिमरन बहुत जरूरी है। बीना इसके कुछ भी नही है। और यही आखिरी मौका है। इसके बाद आपको ये मनुष्य जन्म नही मिलेगा। भले ही हजारों सूर्यों का प्रकाश हो जाए, लेकिन रूहानी मार्ग में सतगुरु के बिना हम अज्ञानता और अंधकार में है। बिना सतगुरु के मुक्ति कभी नहीं मिल सकती। ये भी पढ़ें : मनुष्य जन्म को सार्थक करना है? तो रूहानियत में इन बातों का रखें ख्याल सतगुरु का कार्य सतगुरु का कार्य है हमें उपदेश की याद दिलाना और भजन-सिमरन द्वारा हमारा ध्यान और परम ज्ञान की ओर, उसकी पहचान की ओर ले जाना जो रूहानियत का मूल स्त्रोत है, क्योंकि भजन-सिमरन ही हमारे आंतरिक अभ्यास की बुनियाद है। नामदान से हर मुक़ाम हासिल सतगुरु हमें वह युक्ति बताते हैं जिससे शिष्य की आत्मा एकाग्र होकर अंतर में जुड़ जाती है। वह हमें सिखाते हैं कि कैसे मन को एकाग्र करके सतगुरु के स्वरुप पर ध्यान टिकना आना है। और कैसे उस परमपिता परमात्मा को पाना है। यही सतगुरु का सीधा साधा उपदेश है।

मनुष्य जन्म को सार्थक करना है? तो रूहानियत की इन बातों पर करें अमल

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Radha Soami- हम अपने इस मनुष्य जन्म को सार्थक कर सकते हैं। हम उस परमपिता परमात्मा को पा सकते हैं। बस  हमें कुछ रूहानियत की बातों पर अमल करना होता है। अगर हम उन रूहानियत के नियमों के अनुसार चलेंगे तो हम परमपिता परमात्मा को पा लेंगे और इस चौरासी के जेलखाने से आजाद हो सकते हैं। क्या है रूहानियत के नियम जानें? 1. सबसे पहले अपने व्यवहार में सादगी बनायें रखें। 2. हर किसी व्यक्ति का सम्मान करें और सत्संग से जुड़े रहें। 3. कभी किसी का दिल ना दुखायें। प्यार और प्रेम बनाए रखें। 4. मुसीबत में एक-दूसरे व्यक्ति की मदद करें। 5. पूर्ण सतगुरु की खोज करें, उसके हुकुम में चलें Also read :   रूहानियत में इन बातों पर ध्यान रखना जरूरी है:  बाबाजी 6. हक हलाल की कमाई करें, हक हलाल की कमाई पर गुजारा करें। 7. सतगुरु के बताए गए उपदेशों पर चलें। गलत संगति में ना बैठें। 8. किसी प्रकार का नशा ना करें। पराई स्त्री को बहन, माता, पुत्री के समान समझें। 9. किसी जीव की हत्या ना करें और उस परमपिता परमात्मा का ध्यान करें। 10. सतगुरु द्वारा प्राप्त नामदान से हम उस परमपिता परमात्मा को...

रूहानियत में इन बातों पर ध्यान रखना बहुत जरूरी है : बाबाजी

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Radha Soami- संतों की शरण किसी क़िस्मत वाले को मिलती है। और जो इंसान संतों की शरण में चला जाता है। समझो उसका परमात्मा से मिलने का रास्ता साफ हो गया। वो इंसान अपने संत-सतगुरु से नाम की युक्ति प्राप्त करके, रूहानियत की राह पर चल कर अपने जीवन को सार्थक कर सकता है। हक हलाल की कमाई पर गुजारा  संत हमेशा रूहानियत के रास्ते पर चलने की नेक सीख बतलाते हैं। हमें सत्य पर चलना और हक हलाल की कमाई पर गुजारा करने की प्रेरणा देते हैं। क्योंकि हक हलाल की कमाई से हमारा मन ज्यादा विचलित नहीं होता, वह सही राह पर रहता है। इसलिए हमें हक हलाल की कमाई पर गुजारा करना चाहिये। Read also : मन में नम्रता, सेवा भाव से भजन सुमिरन में आसानी होती हैं एक रूहानियत की खास कला हमें अपना व्यवहार बिल्कुल शांत स्वभाव में रखना चाहिये। जितना हम शांत स्वभाव में रहेंगे, उतना ही हमारा मन एकाग्र होगा। और आसपास में अपना वातावरण भी खुशनुमा रहेगा। हर व्यक्ति के साथ बड़ी नम्रता से पेश आना चाहिए। यह एक रूहानियत की खास कला है, जिसके जरिए हम मन को एकाग्र करने में बहुत बड़ी सफलता प्राप्त कर सकते हैं। Read...