सच्ची भक्ति और पूजा यानी भजन सुमिरन

बाबा जी हर सत्संग में सच्ची भक्ति और भजन सुमिरन पर जोर देते हैं| हर सत्संग में बाबा जी फरमाते हैं कि ज्यादा से ज्यादा भजन सुमिरन को समय देना चाहिए| क्योंकि एक मनुष्य जन्म ही ऐसा है, जिसमें बैठकर हम भजन सुमिरन कर सकते हैं| इस आवागमन के चक्कर से छुटकारा पा सकते हैं| हम परमात्मा को पा सकते हैं|


गुरु अमरदास जी का कथन है:
सचै सबद सची पत होई|| बिन नावै मुकत न पावै कोई||
बिन सतगुर को नाउ न पाए|| प्रभ ऐसा बणत भणाई हे||


मालिक ने अपनी मिलने के लिए यही कुदरती कानून बनाया है कि सच्चे शब्द या नाम की कमाई के बगैर हमें कभी मुक्ति प्राप्त नहीं कर सकते| और सतगुरु की बिना हमें नाम की कमाई करने के तरीके और साधन का पता नहीं चल सकता|

हजरत ईसा भी इस ओर इशारा करते हैं:
'मैं तुझसे सच कहता हूँ, जब तक मनुष्य दोबारा जन्म नहीं लेता, वह खुदा की बादशाहत नहीं देख सकता| नया जन्म लेने से मतलब उस नाम या शब्द से जुड़ना है, जिसे पाकर इस नाशवान संसार से हमारा संबंध टूट जाता है| और हम अपने परमपिता परमात्मा के घर जाने की काबिल बन जाते हैं|

गुरु नानक जी ने भी अपनी वाणी में फरमाया है:
सतगुर कै जनमे गवन मिटाइया||


भजन सुमिरन के बिना हम चौरासी की जेलखाने में चक्कर काट रहे हैं| दुनिया व्यर्थ ही भ्रमों में फंसकर इस चौरासी के जेलखाने में भटक रही है| उस नाम के बगैर तो मुक्ति का कोई रास्ता ही नहीं है| नाम की कमाई करने का रास्ता छोड़कर अगर हम किसी और रास्ते पर चलने की कोशिश करते हैं| तो अंत में मौत के समय पछताना पड़ता है| कि यूं ही अपने कीमती समय को व्यर्थ ही बातों में गंवा दिया| इसलिए बार-बार संत महात्मा समझाते हैं, कि नाम की कमाई करो| भजन सुमिरन करो और परमात्मा को पाओ|
              
                    ||  राधा स्वामी  ||

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