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बुधवार, 28 नवंबर 2018

मृत्यु पर जीत पाने की तैयारी का उत्तम साधन:- भजन सुमिरन

चरण सिंह महाराज जी अक्षर सत्संग में फ़रमाया करते थे कि भजन-सिमरन वह ताकत है, जिसको करने से मृत्यु का भय भी खत्म हो जाता है| मौत आने पर मनुष्य घबराता नहीं| क्योंकि उसने जीते जी मरना सीख लिया| इसीलिए महाराज चरण सिंह जी समझाते हैं कि भाई भजन सुमिरन बहुत जरूरी है|

असल में भजन शरीर को छोड़ने की तैयारी मात्र है| यही भजन का असली उद्देश्य है| मंच पर नाटक खेलने से पहले आप अपने पार्ट को कई बार दोहराते हैं| ताकि आप अपना पार्ट अदा करने में पूरी तरह कुशल हो जायें| इसी प्रकार भजन मृत्यु का दैनिक रिहर्सल यह पूर्व अभ्यास है| ताकि हम जब भी और जिस तरह से भी मरेंगें, उसके लिए पूरी तरह तैयार हो जाएं|


भजन-सुमिरन द्वारा प्राप्त हुई एकाग्रता से अंत समय मन और आत्मा को शक्ति और सही दिशा प्राप्त होती हैं| संत महात्मा समझाते हैं कि भजन सुमिरन द्वारा मृत्यु पर विजय प्राप्त की जा सकती है|

सेंट पॉल ने कहा है :- (मैं रोज मरता हूं)

मौलाना रूम ने भी यही नसीहत दी है

कितनी खुशकिस्मती की बात हो अगर तू एक रात रूह को शरीर से बाहर निकाल  ले, और शरीर की कब्र पीछे छोड़कर अंदरूनी आसमानों पर चढ़ जाए| अगर तेरी रूह शरीर को खाली कर दे तो तू मौत की तलवार के वार से बचाएगा और एक ऐसे बाग में दाखिल हो जाएगा जहां कभी पतझड़ नहीं होती||


जीते जी मरने का अभ्यास करने के लिए ध्यान को तीसरे दिल पर टिकाना पहला कदम है| भजन-सुमिरन के लिए निश्चित किए गए समय के साथ-साथ ध्यान को हर समय तीसरे तिल पर टिकने  का अभ्यास भी करना चाहिए| ऐसा अभ्यास हमारे लिए और भी अधिक लाभदायक होगा| अगर इसे उन पलों में किया जाए जब हालात मृत्यु के समय से मिलते-जुलते हों; जबकि सभी कुछ अव्यवस्थित-सा बिखरा-बिखरा हो, या हमारी काबू से बाहर हो| वह पल तब हो सकते हैं जब मन पर क्रोध या लोभ का हमला हो, जब किसी दुख या पीड़ा में से गुजर रहे हो, जब कुछ ऐसी परिस्थितियों को संभालने का यतन कर रहे हों जो हमारे बस से बाहर हो गई हैं| ऐसे हालात हमें निर्लिप्त रहने का गुण सिखाने वाले उत्तम अवसर होते हैं| यह अवसर हमें सिमरन द्वारा अपना ध्यान तीसरे दिल पर एकाग्र करके अन्य हर चीज से ऊपर उठ जाने की शिक्षा देते हैं|


इसीलिए संत महात्मा बार बार इस बात पर जोर देते हैं कि ज्यादा से ज्यादा भजन सिमरन करना चाहिए| अपने मन को एकाग्र करना चाहिए और अपने ध्यान को तीसरे तिल पर टिकना चाहिए ताकि आपका मनुष्य जन्म सफल हो जाए|

                         || राधा स्वामी ||

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