सुख और शांति की तलाश, यहाँ हो सकती है खत्म।
संतों ने हमेशा फ़रमाया है कि सत्संग ही एक ऐसा साधन है जिसके जरिये हम सुख औऱ शांति हासिल कर सकते हैं| हर एक इंसान सुख और शांति की तलाश कर रहा है, और अलग-अलग चीजों में अलग-अलग स्थानों पर जाकर सुख और शांति ढूंढ रहा है| लेकिन असली सुख और असली खुशी सिर्फ शब्द में ही है| जिसके साथ हमारा ख्याल सिर्फ सतगुरु की जरिए ही जुड़ सकता है|
शब्द हमारे अंदर
वह शब्द बेशक हमारे अंदर है| लेकिन अगर हमें किसी संत महात्मा की संगति नहीं मिली तो हम उस ऊंची सच्ची और पवित्र धुन को कभी नहीं पकड़ सकते| इसलिए हमें चाहिए कि पूरे गुरु की तलाश करें| जो हमारे ख्याल को उस शब्द से जोड़कर हमें मालिक से मिला दे| इसके अलावा और कोई चीज हमें असली और सच्ची खुशी नहीं दे सकती|
वह शब्द बेशक हमारे अंदर है| लेकिन अगर हमें किसी संत महात्मा की संगति नहीं मिली तो हम उस ऊंची सच्ची और पवित्र धुन को कभी नहीं पकड़ सकते| इसलिए हमें चाहिए कि पूरे गुरु की तलाश करें| जो हमारे ख्याल को उस शब्द से जोड़कर हमें मालिक से मिला दे| इसके अलावा और कोई चीज हमें असली और सच्ची खुशी नहीं दे सकती|
गुरु अमरदास जी फरमाते हैं
कि अगर इंसान संसार में अनेक प्रकार के भोग भोग रहा है| नौ खंड पृथ्वी का राज भी कर रहा है तो भी उसे बिना सतगुरु की सच्चा सुख नहीं मिल सकेगा और वह बार-बार जन्म लेता और मरता रहेगा|
कि अगर इंसान संसार में अनेक प्रकार के भोग भोग रहा है| नौ खंड पृथ्वी का राज भी कर रहा है तो भी उसे बिना सतगुरु की सच्चा सुख नहीं मिल सकेगा और वह बार-बार जन्म लेता और मरता रहेगा|
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संतो महात्माओं में हमारे अंदर बोलकर कुछ नहीं डालना है| वह दौलत परमात्मा ने हमारे अंदर हमारी खातिर रखी है| और हमें अंदर से ही मिलेगी| संत तो सिर्फ युक्ति और साधन समझाते हैं| जिस तरह विद्या की ताकत हर एक इंसान के अंदर जन्म से ही है| लेकिन सोई हुई है| जब हम स्कूलों-कॉलेज में जाते हैं| उस्तादों के आदेश के मुताबिक चलते हैं| रातों को जागते हैं| तब सोई हुई ताकत हमारे अंदर से ही जाग उठती है| फिर हम B.A., M.A. कर लेते हैं| विद्वान बन जाते हैं| जो विद्यार्थी अध्यापक से डरकर स्कूलों कॉलेजों में नहीं जाते| विद्या की ताकत उनके अंदर भी है| लेकिन वह सोई आती है और सोई ही चली जाती है| जो विद्या प्राप्त कर लेते हैं| उनके अंदर अध्यापक घोलकर तो कुछ नहीं डालते| सिर्फ उनकी संगति करने से ही विद्यार्थी की सोई हुई ज्ञान-शक्ति जाग उठती है| हम सबको मालूम है कि दूध के अंदर घी है| लेकिन अगर हमें युक्ति या तरीका पता ना चले तो हम कभी भी उस घी को दूध से नहीं निकाल सकते| घी हमेशा दूध से ही निकलता है| लेकिन युक्ति के बिना प्राप्त नहीं किया जा सकता|
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इसलिए हमें भी चाहिए कि अपने पूरे सतगुरु के हुक्म में चले और भजन सुमिरन करें| जितना हम भजन सिमरन करेंगे उतना परमात्मा के नजदीक जा पाएंगे| भजन सुमिरन करते रहने की साथ ही हम इस मनुष्य जन्म का लाभ उठा सकते हैं| और इस आवागमन के चक्कर से छुटकारा पा सकते हैं| और हम अपने निज घर पहुंच सकते हैं|
|| राधा स्वामी ||
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