दुनिया में जितने भी संत महात्मा हुए हैं| सभी संत महात्माओं का ही मानना है कि वह कुल मालिक, परमात्मा, ईश्वर एक है| पूरी दुनिया में उसी का वास है| जितने भी संत महात्मा हुए हैं| उन्होंने इस बात को बड़ी गंभीरता से लिया है की परमात्मा एक है| परमात्मा जर्रे-जर्रे, पत्ते+पत्ते में समाया हुआ है|
सब महात्माओं का यही अनुभव है कि जिस परमात्मा से हम अब मिलना चाहते हैं, वह एक है| यह नहीं कि हिंदुओं का कोई और या सिखों और ईसाईयों का कोई और है|
विचार करने योग्य :- सुख और शांति की तलाश, यहाँ हो सकती है खत्म।
शेख साअदी कहते हैं
बनी आदम आअज़ाए यक दिगर अन्द,
कीह् दर आफ्ररीनश ज़ि यक जौहर अन्द|
बनी आदम आअज़ाए यक दिगर अन्द,
कीह् दर आफ्ररीनश ज़ि यक जौहर अन्द|
सभी इंसान एक ही जिस्म के जुदा-जुदा अंगों की तरह है क्योंकि सभी एक ही स्त्रोत से निकले हैं|
गुरु अर्जुन देव जी फरमाते हैं
एकु पिता एकस के हम बारिक....||
एकु पिता एकस के हम बारिक....||
सभी इंसान एक ही परमात्मा के बच्चे हैं| और सबका एक ही पिता है, इसलिए सभी भाई-भाई है|
सिर्फ इंसानों को ही नहीं, संसार के सभी जीवो को पैदा करने वाला वह परमात्मा एक ही है| मुसलमान फकीर उस परमात्मा को 'रब्बुल-आलमीन' कहकर याद करते हैं| कि सारे आलम का एक ही परमात्मा है| और हमेशा से वही परमात्मा चला आ रहा है| यह नहीं कि पहले कोई और परमात्मा था या अब कोई और है|
विचार करने योग्य:- इस जरिए परमात्मा को हम पा सकते हैं, विधि जानने के लिए पढें
संत फरमाते है हमारे तजुरबे में एक ऐसी चीज आई है जो आदि-जुगादि से चली आ रही है| जो कभी नाश या फना नहीं होती, वह एक परमात्मा है| जिसके महात्माओं ने हजारों नाम अपने-अपने प्यार में आकर रखे हुए हैं| उस मालिक के अलावा जो कुछ भी हम आंखों से देख रहे हैं| सबने नष्ट या फना हो जाना है| कोई भी चीज यहां स्थिर नहीं है|
इसलिए संत महात्मा फरमाते हैं कि केवल उस एक परमात्मा का ध्यान करो| उनके नाम का जाप करो| ताकि इस मनुष्य जन्म में आने का मकसद पूरा हो सके| हमारा जन्म-मरण के चक्कर से छुटकारा हो सके|
|| राधा स्वामी ||
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