Radhasoamisantmarg

शनिवार, 1 दिसंबर 2018

बिना इच्छाएं खत्म किए परमात्मा को पाना नामुमकिन है

संत महात्मा अपने हर एक सत्संग में सांसारिक की इच्छाएं खत्म करने पर काफी जोर देते हैं| संत महात्मा समझाते हैं की जितनी हमारी इच्छाएं कम होंगी| उतना हम परमात्मा के नजदीक होंगे|


तुलसी साहिब उपदेश देते हैं:-
दिल का हुजरा साफ़ कर, जानां के आने के लिये|
ध्यान गैरों का उठा उसके बिठाने के लिये||

दिल तो हमारा दुनिया के पदार्थों और शक्लों के लिए भटकता है, और मिलना हम मालिक से जाते हैं, ये दोनों बातें कैसे हो सकती हैं? मन तो एक ही है, उसे चाहे दुनिया के प्यार में लगा लें, चाहे मालिक की भक्ति में| हमारा कोई रिश्तेदार या प्यारा हमसे कहीं दूर चला जाता है, हम से बिछड़ जाता है, तो हम उसकी याद में किस तरह तड़पते हैं, सारी रात जागकर आंसू बहाते रहते हैं| क्या हमने कभी मालिक के बिछोड़े में एक रात भी जाकर काटी है? हमारी आंखों में उस मालिक की याद में एक आंसू भी आया है? हम अपने बच्चे को बाहर खेलने के लिए आया के साथ भेज देते हैं| आया तरह-तरह से उसका मन बहलाने की कोशिश करती है| कभी उसे मीठी-मीठी बातें सुनाती है, कभी मिठाई देती है, कभी खिलौनों से दिल बहलाती है| लेकिन फिर भी अगर बच्चा माता-पिता के लिए रोना शुरू कर देता है और आया कि किसी भी खिलौने से उसका मन नहीं भरता तो फिर माता-पिता भी उसकी तड़फ बर्दाश्त नहीं कर सकते, फ़ौरन जाकर बच्चे को छाती से लगा लेते हैं|

मन की इच्छाएं खत्म करो
इसी प्रकार, जब तक हम उस मालिक की रचना के साथ ही मोह या प्यार कीये बैठे हैं, अपने मन को इसी में उलझाये बैठे हैं, तो हम इस रचना का हिस्सा बने रहते हैं | तब तक हम मालिक को अपनी ओर खींचने में समर्थ नहीं है| जब इस रचना से अपने प्यार को निकाल कर पूरी तरह से मालिक की ओर लगा देते हैं तब वह भी दया-मेहर करके हमें अपने साथ मिला लेते है|

हमारा मन तो एक है और हजारों लाखों इच्छाएं हम दिन-रात करते रहते हैं| पिछली इच्छाएं और तृष्णाएँ पूरी नहीं होती है| कि मन और नई इच्छायें पैदा करना शुरू कर देता है| जो इच्छाएं हमारी मर्जी के अनुसार पूरी नहीं होती, वह हमारे लिए दुःख का कारण बन जाती है| जब हमारे मन की यह हालत है, तो परमात्मा हमारे अंदर कैसे बस सकता है?
नाम रूपी दौलत या धन को पाना इतना आसान नहीं है| जितना लोग समझते हैं| इसे वही शख्स प्राप्त कर सकता हैं जो अपने अंदर से कामनाओं और तृष्णाएँ को निकाल देता है|
                       || राधा स्वामी ||

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